लखनऊ
उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं। निकाय चुनाव से पहले सत्ताधारी दल बीजेपी में टिकटों को लेकर काफी मारामारी मची थी। इस दौरान बीजेपी में बहुत से लोगों का टिकट कट गया था। इनमें से बहुत से ऐसे लोग थे जिन्होंने पार्टी से विद्रोह कर चुनाव में उतर गए। हालांकि पिछली चुनाव में जहां जनता ने बागियों को हाथों हाथ लिया था वहीं दूसरी ओर इस बार जनता ने इनको पूरी तरह से नकार दिया है।
2017 के निकाय चुनावों में कई उम्मीदवार भाजपा के टिकट से वंचित होने के बाद निर्दलीय के रूप में विजयी हुए थे। इस महीने की शुरुआत में राज्य की राजधानी में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जिन 35 बागियों को निष्कासित कर दिया था, उनमें से कुछ ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन अपनी ही पूर्व पार्टी के उम्मीदवारों से हार गए।
इस बार मैथिलीशरण गुप्ता वार्ड के पूर्व पार्षद दिलीप श्रीवास्तव ने 2012 और 2017 में भाजपा के टिकट पर सीट जीती थी। इस बार उन्होंने भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था। वह न केवल हारे बल्कि तीसरे स्थान पर चले गए। इसी तरह, महाकवि जयशंकर प्रसाद वार्ड से पिछले 20 वर्षों से निकाय चुनाव जीतकर 4 बार नगरसेवक रहे भाजपा के सुरेश चंद्र अवस्थी को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। उन्होंने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन बीजेपी के स्वदेश सिंह से 1,813 मतों के अंतर से हार गए।
भाजपा के दो बार के नगरसेवक अनुराग पांडे ने मल्ला हिटोला वार्ड से निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार चंद्र बहादुर सिंह से हार गए। इस बीच फैजुल्लाहगंज द्वितीय वार्ड से नगरसेवक अमित मौर्य ने अपनी मां को निर्दलीय उतारा, लेकिन वह भी भाजपा की प्रियंका से हार गईं।
लखनऊ के पूर्व मेयर और पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि, 'नगर निकाय चुनाव में सभी राजनीतिक दलों को बागियों की समस्या का सामना करना पड़ा लेकिन बीजेपी ने बेहतर तरीके से इस समस्या से पार पा लिया।
हालांकि 1 मई को भाजपा से निकाले गए लोगों में नगरसेवक दिलीप श्रीवास्तव, अमित मौर्य, सुभाषिनी मौर्य, पूर्व डिप्टी मेयर सुरेश अवस्थी, पूर्व नगरसेवक अनुराग पांडे, अमित सोनकर, भरत राजपूत विजय मिश्रा सहित अन्य शामिल थे।