गोरखपुर
यूपी नगर निकाय चुनाव 2023 के नतीजों ने एक बार फिर सीएम योगी आदित्यनाथ के करिश्माई नेतृत्व का लोहा मनवा दिया। पूर्वांचल के अपने गढ़ में उनका जादू खूब चला। नगर निगम से लेकर पंचायतों तक में भाजपा की धूम दिखाई दी। योगी के नेतृत्व में भाजपा इस बार न सिर्फ गोरखपुर नगर निगम में लगातार चौथी बार महापौर पद जीतने में सफल रही, बल्कि पहली बार 80 में से 42 पार्षद जिताकर बोर्ड में भी बहुमत हासिल किया। नगर पंचायतों में भी भाजपा की बल्ले-बल्ले रही। भाजपा ने गोरखपुर-बस्ती मंडल की 69 नगर पंचायत में से 33 सीटें जीती हैं। वहीं सपा के हिस्से में 11, बसपा को आठ सीटों पर ही जीत मिली।
गोरखपुर नगर निगम में इस बार भाजपा 2017 के मुकाबले करीब दूने पार्षद जिताने में कामयाब रही है। 2017 में जहां भाजपा के 27 पार्षद जीते थे वहीं इस बार संख्या 42 तक पहुंच गई है। मेयर सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ.मंगलेश श्रीवास्तव, सपा की काजल निषाद को 60,775 वोटों से पराजित करने में कामयाब रहे। हालांकि सपा को 2017 के मुकाबले कुछ ज्यादा नुकसान नहीं हुआ और पार्टी 17 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। बसपा ने पिछली बार जितनी पांच सीटें, कांग्रेस ने पिछली बार से एक कम यानी एक सीट हासिल की है। जबकि निर्दलीय भी पिछली बार जितने 15 ही चुनकर आए हैं।
डा. मंगलेश ने योगी से लिया आशीर्वाद
गोरखपुर नगर निगम के नव निर्वाचित महापौर डा. मंगलेश श्रीवास्तव जीत हासिल करने के बाद गोरखनाथ मंदिर पहुंचे। वहां उन्होंने बाबा गोरखनाथ का दर्शन किया। इसके बाद वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले और उनका आशीर्वाद लिया। डा. मंगलेश ने माला पहनाकर और केसरिया अंगवस्त्रत्त् ओढ़ाकर मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया। नगर निकाय चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री ने लखनऊ में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के साथ मीडिया से बात की और शनिवार शाम गोरखनाथ मंदिर पहुंचे। उनके आगमन की सूचना मिलते ही जीत का जश्न मना रहे नवनिर्वाचित महापौर डा. मंगलेश श्रीवास्तव भी भाजपा पदाधिकारियों के साथ मंदिर पहुंच गए। उनके साथ भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं एमएलसी डा. धर्मेंद्र सिंह, गोरखपुर ग्रामीण के विधायक विपिन सिंह व भाजपा के महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता मौजूद थे।
योगी के करिश्मे के आगे सपा की रणनीति इस बार फेल
सीएम योगी आदित्यनाथ के करिश्माई नेतृत्व व उनकी बेजोड़ रणनीति ने इस बार निगम चुनाव में सपा के निषाद प्रत्याशी के दांव को कामयाब नही होने दिया। 2018 में लोकसभा उप चुनाव में सपा ने जिस निषाद कार्ड खेल जो सफलता हासिल की थी इस चुनाव में उस कार्ड ने भी निराश किया। सीएम योगी का जनाधार और हमेशा की तरह सर्वसमाज को मथने की उनकी रणनीति फिर सफल हुई और एक बार फिर कमल खिल गया। बसपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मेहनत जरूर की लेकिन कामयाबी काफी दूर रही।
सपा गोरखपुर नगर निगम चुनाव से पूरे प्रदेश को संदेश देना चाहती थी। इसलिए उसने इस बार नगर निकाय चुनाव में फिर निषाद कार्ड खेला। खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश ने यहां एक जनसभा भी की पर वे योगी का व्यूह नहीं भेद पाए। गोरखपुर में योगी का मजबूत जनाधार है। इसके बावजूद शहर को मथने की अपनी रणनीति को उन्होंने इस बार भी जारी रखा। विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों के साथ बैठकें की। जनसभाएं भी कीं। कार्यकर्ताओं को भी सहेजा, जिसकी परिणिति भाजपा प्रत्याशी डॉ. मंगलेश की जीत रही।
पंचायतों में भी बल्ले-बल्ले
इस बार गोरखपुर-बस्ती के सात जिलों में नगर पालिका सीटें तो 2017 जितनी कुल 11 ही रहीं लेकिन नगर पंचायतें 42 से बढ़कर 69 हो गईं। पिछली बार भाजपा ने जहां पंचायत की 42 में से 9 सीटें ही जीती थीं, इस बार यह आंकड़ा 33 सीटों तक पहुंच गया। हालांकि नगर पालिका की सीटों पर पार्टी को पिछली बार की तुलना में तीन सीटों का नुकसान हुआ। पिछली बार जहां पार्टी सात सीटें जीत पाई थी। इस बार चार ही मिलीं।