लखनऊ
यूपी निकाय चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई है। लखनऊ मेयर चुनाव में सुषमा खर्कवाल को नए महापौर के रूप में चुना गया है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) की वंदना मिश्रा को 52,699 मतों के अंतर से हराया। बीजेपी ने अधिकांश पार्षद सीटों पर भी जीत हासिल की, जिसके कई उम्मीदवारों ने शुरुआती बढ़त हासिल की। पिछले 35 सालों से खर्कवाल भाजपा से जुड़ी हुईं हैं। मेयर पद पर जीत के बाद खर्कवाल ने अपनी जीत का पूरा श्रेय अपने संघर्ष और कड़ी मेहनत को दिया। उन्होंने भाजपा के अंदर विभिन्न पदों पर काम किया है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की रैलियों में उनका स्कूटर नियमित रूप से देखा जाता था। खर्कवाल ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने दो बच्चों को अकेले पालने के बावजूद, खर्कवाल ने राजनीति नहीं छोड़ी। पिछले तीन दशकों से भी ज्यादा बीजेपी से जुड़ी खर्कवाल ने हर जिम्मेदारियों को निभाया है।
पार्टी की ओर से हर छोटी-बड़ी जिम्मेदारियों का खर्कवाल ने बखूबी निर्वहन किया है। खर्कवाल के निर्वाचित होने उत्तराखंड के कोटद्वार भाबर में उनके रिश्तेदारों में भी जश्न का माहौल है। खर्कवाल के मायके लोग उत्तराखंड के कोटद्वार स्थित हल्दूखाता भाबर में रहे रहे हैं। निकाय चुनाव की शुरुआती दौर से लेकर जीत तक उनके भाई विनोद भट्ट भी लखनऊ में ही हैं।
निर्वाचित मेयर खर्कवाल के चचेरे भाई मनीष भट्ट कहते हैं कि उनका परिवार कई साल पहले यमकेश्वर के भट्टगांव से कोटद्वार भाबर के हल्दूखाता में रह रहा है। पिता गोविंदराम भट्ट और माता का निधन हो चुका है। सुषमा तीन बहनों में सबसे छोटी है। खर्कवाल की जीत के बाद उत्तराखंड के यमकेश्वर के भट्टगांव, दुगड्डा के कलढुंगा स्थित ससुराल और कोटद्वार भाबर में खुशी की लहर है।
सुषमा खर्कवाल का पारिवारिक जीवन
सुषमा खर्कवाल की शादी 1984 में उत्तराखंड के पौड़ी जिले में दुगड्डा के कलढुंगा निवासी प्रेमलाल खर्कवाल के साथ हुई। उनका परिवार लंबे समय से लखनऊ में ही रह रहा है। खर्कवाल के पति सेना से 'हवलदार' के पद से सेवानिवृत्त हुए और पिछले साल तक विधान सभा में सहायक मार्शल के रूप में काम करते रहे। खर्कवाल का बड़ा बेटा फिलिप्स में एक वरिष्ठ कार्यकारी है, जबकि उसका छोटा बेटा एक इंजीनियर है।