बेंगलुरु
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था इसके बावजूद बुरी हार का सामना करना पड़ा। यहां भाजपा को केवल 65 सीटों से संतोष करना पड़ा। वहीं कांग्रेस ने 136 सीटें जीतकर जबरदस्त बहुमत हासिल कर लिया। भाजपा ने चुनाव प्रचार में अपने 15 केंद्रीय मंत्री, 128 राष्ट्रीय स्तर के नेता उतार दिए थे। इसके अलावा पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी ऐक्टिव थे। पीएम मोदी ने 19 रैलियां कीं। हिंदुत्व के आइकॉन के तौर पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को उतारा गया था।
हिमंता बिस्वा सरमा का सबसे अच्छा स्ट्राइक रेट
अगर स्टार कैंपेनर्स के स्ट्राइक रेट की तुलना करें तो कर्नाटक में सबसे अच्छा हिमंता बिस्वा सरमा का ही रहा। उन्होने 11 सीटों पर रैलियां की थीं जिनमें से पांच पर भाजपा को जीत हासिल हुई। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे ज्यादा वोटों पर पकड़ बनाने वाले कैंपनर बने। बात करें गृह मंत्री अमित शाह की तो उन्होंने 24 अप्रैल से 7 मई के बीच 23 रैलियां कीं और 9 रोडशो किए। सरमा ने 11 और योगी आदित्यनाथ ने 9 जनसभाएं कीं।
कितना चला योगी का जादू?
सीएम योगी ने अपना प्रचार अभइयान मंड्या से शुरू किया था जो कि वोक्कालिंगा समुदाय बहुल है। गोरखनाथ मंदिर और मंड्या में आदिचुंचनागिरि मठ को मानने वालों में करीबी नजर आती है। यहां वोक्कालिंगा समुदाय के लोक नाथ पंथ की परंपराओं को भी मानते हैं। स्ट्राइक रेट की बात करें तो हिमंता बिस्व सरमा का 45 फीसदी, अमित शाह का 34 फीसदी और योगी आदित्यनाथ का 44 फीसदी रहा।
आदित्यनाथ ने दक्षिण कन्नड़, उत्तर कन्नड़. विजयपुरा, चिक्कामंगलुरु, कोप्पल, रायचूर और कालाबुर्गी में रैली की थी। चिक्कामंगलुरु में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि 5926 वोटों से हार गए। वह चार बार के विधायक थे। वहीं रायचूर में भाजपा के डॉ. शिवराज पाटिल 3732 वोटों से जीत गए। कालाबुरगी जिले में कांग्रेस ने दो सीटें जीतीं और कालाबुरगी रूरल पर भाजपा ने कब्जा किया। यहां आदित्यनाथ ने रैली की थी। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि यूपी के सीएम का बुलडोजर यहां भी आम लोगों पर चलेगा।
अमित शाह का कैसा रहा प्रदर्शन
अमित शाह ने हुबली, गुंदलूपेट, उडुपी और नावलगुंड में रैलियां की थी। बेलागावी साउथ, बेलागावी नॉर्थ, मंगलुरु, बीटीए लेआउट और यादगीर में रोडशो किए ते। वरुणा सीट पर उन्होंने प्रचार किया था। यहां जंग कांग्रेस के पूर्व सीएम सिद्धारमैया और भाजपा के वी सोमन्ना के बीच थी। यहां सिद्धारमैया ने सोमन्ना को बड़े अंतर से हराया। वहीं शेट्टार को टिकट ना देने से भाजपा को कोई नुकसान नहीं हुआ क्योंकि यहां से भाजपा के तेंगिनाकाई ने ही जीत दर्ज की है।