वाराणसी
नगर निकाय चुनाव के मतदान में सिर्फ 40 प्रतिशत वोटिंग के बाद भी महापौर सीट पर एक बार फिर भाजपा ने दमदारी से अपना परचम लहराया है। सूबे की प्रतिष्ठित वाराणसी नगर निगम सीट पर भाजपा प्रत्याशी अशोक तिवारी ने दो लाख 91 हजार 852 वोट पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के डा. ओम प्रकाश सिंह (ओपी सिंह) को एक लाख 33 हजार 137 मतों से पराजित कर दिया।
भाजपा ने दर्ज की जीत
सपा के ओपी सिंह को एक लाख 58 हजार 715 मत प्राप्त हुए। भाजपा की जीत एकतरफा रही। कुल 27 राउंड तक चली मतगणना में सपा प्रत्याशी एक बार भी भाजपा को मिले वोट छू नहीं सकें। कांग्रेस प्रत्याशी अनिल श्रीवास्तव 94 हजार 288 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस प्रत्याशी ने हर वार्ड में वोट तो पाए लेकिन किसी राउंड में सपा को पीछे नहीं ढकेल सके। कांग्रेस का प्रदर्शन उम्मीद से कम इसलिए भी रहा, क्योंकि पिछले निकाय चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शालिनी यादव ने अंत तक भाजपा प्रत्याशी व निवर्तमान महापौर मृदुला जायसवाल से संघर्ष किया था और दूसरे स्थान पर रही थीं। बसपा प्रत्याशी सुभाष चंद माझी 36 हजार 218 मत से पूर्व निकाय चुनाव की तरह इस बार भी चौथे स्थान पर रहे।
आप को मिले 8077 वोट
आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रहीं शारदा टंडन 8077 वोट पाकर सिर्फ उपस्थिति दर्ज करा सकीं। वोट के मामले में सुभासपा के आनंद कुमार तिवारी 12 हजार 799 मत पाकर आप से आगे रहे। निकाय चुनाव में भाजपा को सिर्फ महापौर की सीट पर ही जीत नहीं मिली, पहली बार 100 वार्ड के सदन में 63 पार्षदों की जीत की वजह से स्पष्ट बहुमत भी मिला।
काशी में जनता की ट्रिपल इंजन सरकार
सदन में सपा 13 व कांग्रेस आठ सीटों पर सिमट गई। निर्दल 15 सीट पाकर दोनों दलों से आए रहे। हालांकि इनमें ज्यादातर सपा व भाजपा के बागी हैं, जो जल्द ही अपने-अपने दलों में वापस लौट जाएंगे। योगी सरकार ने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से ट्रिपल सरकार बनाने का आह्वान किया था। काशी की जनता ने ट्रिपल इंजन की सरकार बनवा दी है। अब बनारस में सांसद से लेकर विधायक व जिला पंचायत अध्यक्ष तक भाजपा के हैं। शहर की सरकार भी पूरी तरह भाजपा के हाथ में है।