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बिना पैसा खर्च किए शनि को शांत करने के असान उपाय

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वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को क्रूर ग्रह माना गया है. शनि लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं इसलिए उन्हें कलयुग का न्यायाधीश और  कर्म फलदाता कहा जाता है. कुंडली में शनि मजबूत हो तो व्यक्ति खूब तरक्की करता है वहीं शनि कमजोर हो तो व्यापार में दिक्कत, नौकरी छूटना, पदोन्नति में बाधा और कर्ज जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है. शनिदेव से जुड़े कुछ उपायों को करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कि शनि ग्रह शांति के लिए आपको कौन से उपाय करने चाहिए.

शनि ग्रह शांति के लिए कई उपाय बताए गए हैं इनमें शनिवार का व्रत, हनुमान जी की आराधना, शनि मंत्र, शनि यंत्र, छायापात्र दान करना प्रमुख हैं. इसके अलावा कुछ उपाय वेश-भूषा एवं जीवन शैली से भी जुड़े हुए हैं. जैसे कि जिन लोगों का शनि कमजोर हो उन्हें शराब और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए. शनिवार को रबर और लोहा से संबंधित चीजे नहीं खरीदनी चाहिए. काले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए और बुजुर्ग लोगों का सम्मान करना चाहिए.शनि देव के अलावा श्री राधे-कृष्ण, हनुमान जी और कूर्म देव की पूजा करने से भी आपको लाभ होगा.

शनि की शांति के लिये करें इन चीजों का दान

जिन लोगों का शनि कमजोर हो उन्हें शनिवार के दिन साबुत उड़द, लोहा, तेल, तिल के बीज, पुखराज रत्न, काले कपड़े जैसी चीजों का दान करना चाहिए. नीलम रत्न पहनने से शनि मजबूत होता है. यह रत्न शनि के नकारात्मक प्रभावों से बचाता है. शनि की शांति के लिए 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना बेहद लाभदायक होता है.

शनि शांति के सरल उपाय
इनमें सबसे आसान उपाय है प्रत्येक शनिवार को 11 बार महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया दशरथ स्तोत्र का पाठ। शनि महाराज ने स्वयं दशरथ जी को वरदान दिया था कि जो व्यक्ति आपके द्वारा लिखे गये स्तोत्र का पाठ करेगा उसे मेरी दशा के दौरान कष्ट का सामना नहीं करना होगा।

शनि महाराज प्रत्येक शनिवार के दिन के दिन पीपल के वृक्ष में निवास करते हैं। इसदिन जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके तीन परिक्रमा करने से शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी खाने से भी शनि दोष के कारण प्राप्त होने वाले कष्ट में कमी आती है।

मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में तिल का दीया जलाने से भी शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

शनि को खुश करने के लिए ज्योतिषशास्त्र में कुछ मंत्रों का भी उल्लेख किया गया है। जैसे शनि वैदिक मंत्र 'ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु न:।'

शनि का पौराणिक मंत्र 'ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।'

इन मंत्रों का नियमित कम से कम 108 बार जप करने से शनि के प्रकोप में कमी आती है।