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कोरोना से सिकुड़े फेफड़े 12 माह बाद भी ठीक नहीं हुए, बनी गंभीर समस्या

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लखनऊ  

कोरोना से सिकुड़े फेफड़े 12 माह बाद भी ठीक नहीं हो रहे हैं। गुजरे एक साल के दौरा कोरोना की चपेट में आए मरीजों में भी यह समस्या देखने को मिल रही है। जबकि इन मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण नहीं थे। इसके बावजूद समस्या गंभीर बनी हुई है।

केजीएमयू रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. अजय वर्मा का कहना है कि प्रत्येक ओपीडी में 200 से 250 मरीज आ रहे हैं। इसमें 30 से 40 कोविड से उबरे मरीज भी शामिल हैं। इन मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इसमें दो से ढाई साल पहले कोरोना की वजह से आईसीयू में भर्ती हो चुके मरीज भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि कोविड को हराने के बाद 10 फीसदी मरीजों को फेफड़ों में फाइब्रोसिस सता रही है। इस बीमारी से जूझ रहे लोगों का फेफड़ा सिकुड़ रहा है। नतीजतन कोरोना संक्रमण न होने के बावजूद उनके शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है।

सांसों की बिगाड़ रहा लय
पोस्ट कोविड मरीजों के फेफड़ों में परेशानी होने से सांसों की लय बिगड़ रही है। मरीजों को मरीज को सांस फूलने की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। एकाध मरीजों को तो नौबत ऑक्सीजन देने तक पहुंच जा रही है। खांसी भी सता रही है। जीना चढ़ने पर सांसें फूल रही हैं। हालांकि रिकवरी धीरे-धीरे होने की उम्मीद है। ऐसे मरीजों में दवाओं की डोज बढ़ाने की जरूरत पड़ रही है। डॉ. अजय वर्मा का कहना है कि पहले माना जा रहा है कि पांच से छह माह बाद मरीज रिकवर हो जाएगा। पर, इसमें वक्त लग रहा है। मरीज पूरी तरह से कितने समय में फिट होगा। यह कहना अभी मुश्किल होगा।