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नरवा विकास कार्यों से हाथी प्रभावित वनक्षेत्रों में बढ़ी जल की उपलब्धता: मानव हाथी द्वंद में आई कमी

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रायपुर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा विकास कार्यक्रम का असर रायगढ़ वनमण्डल के वन क्षेत्रों में अब दिखने लगा है। इस वन क्षेत्र के दिसम्बर माह में सूख जाने वाले नालों में अब अप्रैल-मई तक पानी का बहाव रहता है। वन क्षेत्रों में भू-जल स्तर बढ़ा है। वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि रायगढ़ वन मण्डल के हाथी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामों जुनवानी, बंगुरसिया, अमलीडीह, छरार्टांगर, चक्रधरपुर, सामारूमा, सराईपाली, में हाथियों के लिए पीने हेतु जल की व्यवस्था वनक्षेत्रों में ही हो जाने से गांव की ओर उनका आगमन बहुत कम हो रहा है जिससे मानव हाथी द्वंद्व में भी कमी आई है।

जगह-जगह जल का ठहराव होने से वन का संरक्षण एवं संवर्धन तथा वन्यप्राणियों के पीने हेतु बारहमासी नालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। नरवा विकास कार्यक्रम में नालों के ट्रीटमेंट से पहले स्थलों का वैज्ञानिक पद्धति से सॉफ्टवेयर के माध्यम से सर्वे किया जाता है तत्पश्चात् नरवा ट्रीटमेंट का कार्य प्रारंभ किया जाता है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि पिछले चार वर्षों में रायगढ़ वनमण्डल के 34 नालों में वाटर ट्रीटमेंट किया गया है। इससे जहां भू-क्षरण में कमी आई है, वहीं सिंचित क्षेत्र बढ़ा है।