राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा पर हुई कार्यशाला
भोपाल
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सनातन संस्कृति में विद्वान, मनीषी पाथेय के रूप में मार्गदर्शन करते रहे हैं। दुनिया में कई संस्कृतियाँ मिट गई लेकिन भारतीय संस्कृति आज भी जीवंत है। इस संस्कृति में भारतीय ज्ञान परंपरा हमारी सबसे बड़ी पूँजी है। दुनिया के लोग भारत में ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते रहे हैं। किसी कारण से इसमें कमी आ गई और हम मूल भाव से भटक गए। लेकिन आज भारत पुनः इस ओर लौट रहा है।
मंत्री डॉ. यादव आज म.प्र. निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग और भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा आयोजित 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा' कार्यशाला के शुभारंभ-सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोविड के कठिन काल को देश ने बड़े नजदीक से देखा और स्वतः अपना मार्ग बनाया। इस मार्ग में चुनौतियाँ भी आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में नई शिक्षा नीति को लागू करने का कार्य किया जा रहा है। इसके पहले कभी नहीं सोचा कि नीट की परीक्षा भारतीय भाषाओं में भी की जाएगी। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि भाषा को लेकर अंग्रेजों ने जो बीज बोए थे, राष्ट्रीय शिक्षा नीति से उन्हें हटाने का कार्य किया जा रहा है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों के पीएचडी गाइड को भी प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है। इस पर विचार किया जाना चाहिए कि रिसर्च से समाज और सरकार को क्या लाभ मिलेगा। उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों से आह्वान किया कि वे मेडिकल टूरिज्म और टूरिज्म जैसे पाठ्यक्रम के साथ कौशल विकास के पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएँ।
भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री बी. शंकरानंद और आयोग के अध्यक्ष डॉ. भरत शरण सिंह ने भी संबोधित किया।