नई दिल्ली
उत्तर पश्चिमी राज्यों में मई के दूसरे सप्ताह में भी गर्मी ठीक से दस्तक नहीं दे पाई है। इसकी वजह लगातार कई मजूबत पश्चिम विक्षोभ का आना है और उसके चलते स्थानीय मौसमी सिस्टम का मजबूत होना है। मौसम विभाग का कहना है कि इस प्रकार की स्थिति तीन दशक में एक बार देखने को मिलती है। पर इसके कोई दूरगामी नतीजे नहीं होते हैं।
मौसम विभाग के अनुसार उत्तर पश्चमी राज्यों में अप्रैल आखिर और मई की शुरूआत में तापमान में 8-13 डिग्री तक की कमी देखी गई है। सबसे ज्यादा कमी 25 अप्रैल से चार अप्रैल के बीच रही। मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर जेनामणि के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता ज्यादा होना, कम ऊंचाई पर होना तथा उनका दायरा व्यापक होना उत्तर पश्चिमी राज्यों में बारिश होने की प्रमुख वजह हैं।
अप्रैल और मई की शुरुआत तक कुछ-कुछ अंतराल के बाद आए पश्चिमी विक्षोभ इतने व्यापक थे कि उनका एक सिरा अरब सागर तक फैला हुआ था, जिससे उन्हें नमी प्राप्त होती रही और उनका प्रभाव उत्तर-पश्चिमी राज्यों के साथ-साथ मध्य भारत तक रहा। इन शक्तिशाली विक्षोभ ने स्थानीय स्तर पर निर्मित होने वाले मौसमी सिस्टम को भी मजबूती प्रदान की जिससे कुछ-कुछ अंतराल में बारिश हुई है। इसका असर यह रहा है कि तापमान में कमी बनी हुई है। आमतौर पर इन दिनों उत्तर-पश्चिमी राज्यों में अधिकत तापमान 45 डिग्री तक पहुंच जाता है। जबकि इस बार यह मुश्किल से कहीं-कहीं 40 डिग्री तक पहुंच पाया है।
लू का दौर नहीं चला
आर जेनामणि के अनुसार अप्रैल-मई में राजस्थान के मरुस्थलीय इलाकों में भीषण लू का दौर शुरू हो जाता है लेकिन अभी तक वहां लू नहीं चली है। मार्च के शुरुआत में तेलंगाना, गोवा तथा अप्रैल में पूर्वी हिस्से में कुछ स्थानों पर लू चली लेकिन मई में अभी तक लू नहीं चली है। उत्तर एवं मध्य भारत के इलाकों में बारिश और गर्मी से राहत का यह दौर शुक्रवार तक ही रहेगा। उसके बाद तापमान में बढ़ोत्तरी शुरू होगी।
मानसून पूर्व बारिश बढ़ी
मौसम विभाग के अनुसार देश के चार हिस्सों में होने वाली बारिश को देखें तो मानसून के दौरान एवं मानसून से पूर्व उत्तर-पश्चिमी राज्यों में बारिश औसत से कम होती है। पर पिछले कुछ सालों के दौरान राजस्थान समेत कई इलाकों में यह देखा गया है कि मानसून पूर्व और दौरान बारिश बढ़ रही है।