भोपाल
करीबन 30 करोड़ रुपए की लागत से काटजू अस्पताल का कायाकल्प किया गया है ताकि जेपी अस्पताल में आने वाले मरीजों का भार कुछ हद कम हो जाए। लेकिन काटजू अस्पताल को शुरू हुए पांच माह का समय बीत चुका है, ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा नहीं हो पा रहा है। इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मात्र 300 डिलेवरी हुर्इं है।
काटजू अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल में सारी सुविधाएं मौजूद हैं, इसके बावजूद यहां मरीजों की संख्या में इजाफा नहीं हो पा रहा है। यहां तीन ओटी चालू हालत में हैं, नया फर्नीचर से लेकर सारी व्यवस्थाएं हैं। जबकि दूसरी और जेपी अस्पताल में रोजाना 15 से 20 गर्भवती महिलाओं की डिलेवरी हो रही है यानी एक माह में औसतन 500 तक डिलेवरी की जा रही हैं।
उधारी के उपकरणों से शुरू हुआ है काटजू हॉस्पिटल
काटजू अस्पताल में 47 तरह के 1000 से ज्यादा उपकरण जेपी हॉस्पिटल से भेजे गए हैं। इनमें ज्यादातर एसएनसीयू से संबंधित हैं। यह सामान एनएचएम ने जेपी अस्पताल को उपलब्ध कराया था।
काटजू में विवादों के कारण कम आ रही प्रसुताएं
गौरतलब है कि काटजू अस्पताल के शुरू होने के साथ ही यहां विवाद भी सामने आने लगे हैं। कुछ दिनों पहले एक गर्भवती महिला का आपरेशन मोबाइल टार्च की रोशनी में करना पड़ा था। कारण, आपरेशन थिएटर में सर्जरी के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली ओटी लाइट अचानक खराब हो गई थी। वहीं डॉक्टरों की लापरवाही के चलते बच्चे की मां की कोख में मौत के मामला भी सामने आया था। जिसके चलते काफी हंगामा हुआ था।
जनरल डढऊ में एलोपैथी इलाज कर रहे हैं इंटर्न
जेपी और काटजू अस्पताल की जनरल ओपीडी में मेडिकल आफिसर की ड्यूटी लगाई जाती है। मगर वर्तमान में यहां सिर्फ आयुष व होम्योपैथी के इंटर्न ही ओपीडी के समय में मिलते हैं, जो मरीजों को एलोपैथी दवाएं लिख रहें हैं। बता दें कि जेपी अस्पताल की जनरल ओपीडी में डॉ. मनोज, डॉ. विशाल, डॉ. रमेश, डॉ राजेंद्र और डॉ. गरिमा दुबे की ड्यूटी होती है। इनमें से दो डॉक्टरों की दूसरे जिलों में पोस्टिंग कर दी गई हैं। डॉ. विशाल को अस्पताल में आरएमओ बनाया।
जरनल ओपीडी में इस तरह के मरीज : सर्दी, पेट दर्द, बुखार, खांसी, झुखाम, दस्त से लेकर डॉग बाइट व स्नेक बाइट के मामले पहुंचते हैं। जिनको दवा लिखने से लेकर इलाज तक के लिए सीनियर डॉक्टर का होना बेहद जरूरी होता है। दरअसल जेपी अस्पताल के मेडिकल स्पेशलिस्ट से लेकर कई डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती है। जिसके चलते अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या 50 फीसदी तक कम रहती है।
काटजू अस्पताल में मरीजों के लिए सर्वसुविधायुक्त व्यवस्थाएं हैं। तीन ओटी चालू हैं। मरीजों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। चार गायनोलिजिस्ट हैं। धीरे-धीरे मरीजों की संख्या में इजाफा होगा।
कर्नल पीके सिंह, अधीक्षक, काटजू अस्पताल