भोपाल
कर्मचारियों के स्वत्व और अन्य मामलों में हाईकोर्ट पहुंचने वाले न्यायालयीन प्रकरणों में मुख्य सचिव को पार्टी न बनाए जाने के मामले में विभागीय अफसरों की लापरवाही थम नहीं रही है। अब राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष शोभा ओझा द्वारा हाईकोर्ट में दायर दो अलग-अलग मामलों में सीएस को पक्षकार बनाए जाने का मामला सामने आया है। इसके बाद मुख्य सचिव कार्यालय ने महिला और बाल विकास विभाग को प्रभारी अधिकारी के माध्यम से मुख्य सचिव का नाम हटवाने के लिए कहा है। उधर सीएस कार्यालय ने विभागों के सीएस मॉनिट में पेंडिंग 567 मामलों की समीक्षा भी शुरू कर दी है।
मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा न्यायालयीन मामलों में क्विक एक्शन के लिए सीएस मॉनिट में केस दर्ज कर समय सीमा में निराकरण के लिए कहा जाता है लेकिन सीएस दफ्तर के निर्देशों पर विभाग प्रमुख गंभीर नहीं हैं। इसे देखते हुए मुख्य सचिव कार्यालय ने विभागों को नोटशीट भेजकर इस तरह की स्थिति पर नाराजगी जताई है। विभागों के अपर मुख्य सचिवों, सचिवों व प्रमुख सचिवों को इस संबंध में दिए निर्देश में कहा गया है कि न्यायालयीन प्रक्ररणों में यथोचित कार्यवाही करने के साथ सीएस मॉनिट पोर्टल में उसका फालोअप दर्ज करें। विभागों की लापरवाही को देखते हुए सीएस मॉनिट के प्रकरणों की समीक्षा बैठक भी अलग-अलग तारीखों में बुलाई गई है।
इन विभागों के प्रकरण सर्वाधिक
जिन विभागों के सीएस मॉनिट में सर्वाधिक प्रकरण हैं उनमें गृह विभाग का नाम सबसे आगे हैं। इस विभाग के 92 केस दर्ज हैं। इसके बाद राजस्व विभाग के 62, नगरीय विकास और आवास विभाग के 57, पर्यावरण विभाग और विधि व विधायी कार्य विभाग के 43-43, स्वास्थ्य विभाग के 29, परिवहन विभाग के 18, महिला और बाल विकास विभाग और खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग के 16-16, पंचायत और ग्रामीण विकास, वन और सामान्य प्रशासन विभाग के 15-15 मामले सीएस मॉनिट में पेंडिंग हैं।