भोपाल
न्यायालयीन प्रकरणों को फौरी तौर पर ले रहे सरकारी महकमों के न्यायालयीन प्रकरणों के प्रभारी अधिकारियों पर अब जीएडी ने शिकंजा कस दिया है। इन सभी को अब एक तय फार्मेट पर कार्यवाही करना होगा।
किसी न्यायालयीन मामले में प्रभारी अधिकारी बनाए गए अधिकारी को अब मुकदमे के पूरी तरह समाप्त होंने तक उसे दिए गए प्रत्येक प्रकरण की मानीटरिंग के लिए करना होगा। प्रभारी अधिकारी महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा दिए गए किन्हीं निर्देशों के संबंध में सक्षम विभागीय अधिकारी से आवश्यक संवाद करने के लिए उत्तरदायी होगा। वह इससे नहीं बच सकेगा।प्रत्येक प्रभारी अधिकारी को प्रकरण के तथ्यों की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के बाद आवश्यक तैयारी के साथ राज्य के महाधिवक्ता कार्यालय में स्वयं उपस्थित होगा। रिटर्न जवाब, अंतरिम आवेदन तैयार कर रहे राज्य के अधिवक्ता को आवश्यक सभी जानकारी भी देना होगा। सभी प्रभारी अधिकारी राज्य के अधिवक्ता से संपर्क रखते हुए उन्हें दिए गए न्यायालयीन प्रकरणों का नियमित रुप से अनुसरण करेंगे और प्रकरण की प्रगति के बारे में सचेत रहना होगा। सभी प्रभारी अधिकारी प्रत्येक मामले की एक पृथक फाइल संधारित करेंगे जिसमें न्यायालय के समक्ष हुई सभी सुनवाईयों से संबंधित आदेशों की प्रतियां होंगीा।
न्यायालयीन कार्यवाही में सामान्यत: केवल प्रभारी अधिकारी को उपस्थित होंने की अनुमति होगी अन्य अधिकारी उपस्थित हो सकेगा जो राजपत्रित श्रेणी से निम्न स्तर का न हो। सभी प्रभारी अधिकारी न्यायालय में सुनवाई के दौरान औपचारिक परिधान पहनेंगे। महाधिवक्ता कार्यालय पहुंचने के पूर्व प्रकरण का प्रभारी अधिकारी विभाग के नोडल अधिकारी, सक्षम अधिकारी से संपर्क का प्रकरण के ब्यौरे साझा करेगा। विधि अधिकारी से संपर्क कर उसके निर्देशों का पालन करना होगा और उसी दिन रिटर्न, अपील सभी कार्यवाही तैयार फाइल नहीं कर सकने की स्थिति में विशिष्ट कारणों के साथ विधि अधिकारी से अगली तारीख लेगा। न्यायालय में उचित रुप से प्रतिवाद प्रस्तुत करने का दायित्व भी प्रभारी अधिकारी का होगा।
विपरीत आदेश पारित होंने पर उसकी प्रति प्राप्त कर उसके विरुद्ध अपील करने के संबंध में अधिवक्ता से अभिमत लेकर विभाग के सक्षम अधिकारी को भी प्रभारी अधिकारी बताएगा। तबादले, रिटायरमेंट की स्थिति में पद छोड़ने से पूर्व संपूर्ण अभिलेख अपने उत्तराधिकारी को सौपेगा। इन सभी निर्देशों का अब पालन अनिवार्य किया गया है।