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गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट का फैसला, मुख्तार अंसारी दोषी, 10 साल की सजा

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गाजीपुर

मुख्तार अंसारी को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 10 साल कैद और 5 लाख का जुर्माना लगाया। साल 2007 में मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजाल अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इस केस में 2005 कृष्णानंद राय मर्डर केस और नंद किशोर रुंगटा अपहरण मामले को आधार बनाया गया था। शनिवार को 16 साल बाद फैसला आया है।

1985 से अंसारी परिवार के पास रह रही गाजीपुर की मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट को 2002 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय ने छीन ली। तीन साल बाद ही बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की 2005 में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे, तभी उनकी गाड़ी को चारों तरफ से घेर लिया गया था। उसके बाद से एके-47 से अंधाधुंध गोलियां चलाईं। इस हमले में कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की हत्या की गई थी। इस मामले में पुलिस से जांच लेकर सीबीआई को दी गई। कृष्णानंद राय की पत्नी अलका की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में केस को गाजीपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया, लेकिन कई गवाह मुकर गए। इससे मुख्तार अंसारी जेल से छूट गया। मुख्तार अंसारी जेल में जरूर बंद था, लेकिन उसका गैंग सक्रिय रहता था।

2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ के सीएम बनते ही माफिया और गुंडों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। योगी सरकार अब तक अंसारी और उसके गैंग की 192 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियों को ध्वस्त कर चुकी है या फिर जब्त कर चुकी है। लगातार योगी सरकार माफियाओं पर कार्रवाई कर रही है। योगी सरकार के प्रयास से ही मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी लाया जा सका था। काफी समय से मुख्तार पंजाब की रोपड़ जेल में रह रहा था और यूपी आने से मना कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका पर मुख्तार अंसारी को यूपी शिफ्ट किए जाने का फैसला सुनाया था। इसके बाद 7 अप्रैल 2021 को भारी सुरक्षा इंतजाम के बीच मुख्तार अंसारी को यूपी के बांदा जेल में शिफ्ट किया गया था।