भोपाल
प्रदेश के सरकारी महकमों की कितनी राशि बैंको में जमा है, पंचायती राज संस्थाओं को कितना अनुदान बांटा जाना शेष है और कितने काम अपूर्ण है इसका पूरा हिसाब-किताब महानियंत्रक लेखा परीक्षक को सरकारी महकमों को देना होगा। एजी ने अठारह तरह की जानकारियां राज्य शासन से मांगी है। संचालक बजट ने महानियंत्रक लेखा परीक्षक ने जो जानकारियां मांगी है वह सभी 31 मार्च 2023 की स्थिति में सात दिन के भीतर देने के लिए सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव से लेकर सचिव और बजट नियंत्रण अधिकारियों को पत्र लिखा है।
उन्होंने कहा है कि भारत के नियंत्रक लेखा परीक्षक कार्यालय के अनुसार प्रदेश के वित्त लेखों को सार्थक, उपयोगी और पारदर्शी बनाने के लिए 18 तरह की जानकारियां उन्हें भेजी जाना है। यह जानकारी प्रधान महालेखाकार मध्यप्रदेश ग्वालियर के ई मेल आईडी पर भेजे और वित्त विभाग को भी सूचित करे।
शासन के निगम, कंपनियों, संयुक्त पूंजी कंपनियों और साझेदारी, ऋण बैंक और सहकारी संस्थान जिनको कर्ज और निवेश के लिए सहायता प्रदान की गई है उनके आॅडिटेड लेखों की जानकारी मांगी गई है। निगम, कंपनियों और संयुक्त पूंजी कंपनियों , साझेदारी बैंक और सहकारी संस्थाओं द्वारा लाभांश और लाभ की रशि का निकायवार विवरण भी मांगा गया है।
अधूरे कामों का भी हिसाब तलब
सिंचाई परियोजनाओं के वित्तीय परिणाम की जानकारी और विद्युत योजनाओं के वित्तीय परिणामों की जानकारी भी मांगी गई है। जो काम अपूर्ण है और वर्ष के दौरान दिए गए नये ऋण और अग्रिम के अतिरिक्त प्रकटन से संबंधित जानकारी भी मांगी गई है। निरंतर ऋण के रुप में स्वीकृत ऋणों के प्रकरण और ऋणों से बकाया पुनर्भुगतान के सारांश की जानकारी भी मांगी गई है। ऋणों और अग्रिमों का सारांश ऋणी समूहवार और क्षेत्रवार मांगा गया है। ब्याज भुगतान की जानकारी और अशोध्य ऋण तथा बट्टे खाते में डाली गई राशि का ब्यौरा भी मांगा है।
ये बुलाई जानकारी
महानियंत्रक ने जो जानकारियां मांगी है उनमें गवर्नमेंट एकाउंट के बाहर रखी गई राशि का ब्यौरा मांगा है। आॅफ बजट दायित्वों का ब्यौरा भी विभागो को देना होगा। शासन के जिन देयकों का भुगतान किया जाना बाकी है यह जानकारी भी मांगी गई है। आरक्षित निधि के नियम क्या है यह भी एजी ने पूछा है। एन्यूटी परियोजनाओं के अतिरिक्त जननिजी भागीदारी के अंतर्गत निवेश की गई राशि की जानकारी भी मांगी गई है। बजट में प्रस्तावित नई योजनाओं के लिए लिये गये नीतिगत निर्णयों का भविष्य के नगद प्रवाह पर प्रभाव से संबंधित जानकारी भी मांगी है। सरकार द्वारा विभिन्न संस्थाओं को वस्तु के रूप में दिए गए सहायक अनुदान का ब्यौरा भी मांगा गया है।