जयपुर- अजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के दर पर बुलंद दरवाजे पर उर्स का झंडा चढ़ाया गया। इस रस्म की अदायगी के साथ ही गरीब नवाज के 807वें उर्स की अनौपचारिक शुरूआत हो गई। गाजेबाजे और सूफियाना कलामों के बीच झंडे को दरगाह लाया गया और तोप के 25 गोले दाग कर कर सलामी दी गई। उर्स की विधिवत शुरूआत रजब का चांद दिखाई देने पर 7 मार्च से होगी । इस बार उर्स में पाकिस्तानी जायरीन नहीं आएंगे। दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव के कारण पाक जायरीनों का जत्था उर्स में शामिल होने नहीं आ रहा है । जिला प्रशासन ने इसकी पुष्टि की है।
इससे पहले राजस्थान पुलिस के बैंडवादक भर दो झोली मेरी या मोहम्मद समेत विभिन्न सूफियाना कलामों की स्वर लहरियां बिखेरी । परंपरा के मुताबिक इस्लामी कैलेंडर के जमादिउस्सानी महीने की 25 तारीख को अस्र की नमाज के बाद दरगाह गेस्ट हाउस से शान.औ.शौकत के साथ जुलूस की शुरूआत हुई। सैयद मारूफ अहमद चिश्ती की सदारत और फखरुद्दीन गौरी की अगुवाई में निकले जुलूस में भीलवाड़ा के गौरी परिवार के सदस्य झंडा लिए हुए थे। जुलूस लंगर खाना गलीए दरगाह बाजार होते हुए जुलूस रोशनी के वक्त से पूर्व बुलंद दरवाजा पहुंचा। इस दौरान जुलूस की शुरूआत के साथ ही बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप के गोले दागे जा रहे थे। दरगाह परिसर जायरीन से खचाखच भरा हुआ था। लंगर खाना व महफिल खाना की छतों के साथ ही आसपास के हुजरों की छतों पर जायरीन नजर आ रहे थे। अंजुमन सैयदजादगान के सचिव सैयद वाहिद हुसैन अंगाराशाह ने बताया कि चांद रात 7 मार्च को है। इस दिन ही परंपरा के अनुसार सुबत 4.30 बजे जायरीन के लिए जन्नती दरवाजा खोल दिया जाएगा। हिजरी संवत के रजब महीने का चांद दिखाई देने पर रात से ही उर्स की रस्मोें का आगाज हो जाएगा। चांद दिखाई नहीं देने पर उर्स की विधिवत शुरूआत 8 मार्च की रात से होगी।