जोशीमठ
बदरीनाथ धाम के कपाट आज गुरुवार 27 अप्रैल को दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं। गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चार और परंपरा के साथ कपाट खोले गए। गुजजात, दिल्ली-एनसीआर, एमपी सहित देश-विदेश से भारी संख्या में तीर्थ यात्री मौजूद रहे थे। कपाट खुलने के अवसर पर तीर्थयात्रियों पर हेलीकॉप्टर से की पुष्प वर्षा क की गई थी।
भगवान श्री बद्रीनाथ मंदिर के कपाट आज गुरूवार को सुबह 7:10 बजे शुभ मुहूर्त पर ब्रहम बेला में पूरे वैदिक मंत्रोचारण एवं विधि विधान के साथ श्रद्वालुओं के लिए खुल गए है। इस मौके पर पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से की गई। सुबह चार बजे से कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।
कुबेर जी, श्री उद्वव जी एवं गाडू घडा दक्षिण द्वार से मंदिर में परिसर में लाया गया। इसके बाद मंदिर के मुख्य पुजारी रावल समेत धर्माधिकारी, हकहकूधारी एवं श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पदाधिकारियों द्वारा प्रशासन एवं हजारों श्रद्वालुओं की मौजूदगी में विधि विधान के साथ मंदिर के कपाट खोले गए।
मुख्य पुजारी वीसी ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने गर्भगृह में भगवान बद्रीनाथ की विशेष पूजा-अर्चना करते हुए सबके लिए मंगलमय की कामना की। पहली पूजा प्रधानमंत्री मोदी के नाम से की गई। इसके साथ ही ग्रीष्मकाल के लिए बद्रीनाथ के दर्शन शुरू हो गए है। कपाटोद्घाटन के अवसर पर बद्रीनाथ मंदिर को 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया।
हल्की बर्फबारी व बारिश के बीच सेना की टुकडी ने बैण्ड की मधुर धुन तथा स्थानीय महिलाओं के पारम्परिक संगीत व नृत्य के साथ भगवान बद्रीनाथ की स्तुति ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देशों के अनुरूप बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के अवसर पर तीर्थ यात्रियों के स्वागत में हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा से श्रद्वालु गदगद हो उठे।
कपाट खुलने के एक दिन पूर्व से ही बद्रीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी थी। पहले दिन ही हजारों श्रद्धालुओं ने बद्रीनाथ में अखण्ड ज्योति एवं भगवान श्री बद्रीनाथ के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है।
भगवान बदरी विशाल के दर्शनार्थ मंदिर के विराट सिंहद्वार को करीब-करीब 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। हजारों की फूलों की सजावट को देख तीर्थ यात्री भी मंत्रमुग्ध हो रहे हैं। बदरीनाथ में भगवान श्री हरि नारायण का विग्रह पद्मासन रूप में है। भगवान यहां पद्मासन में ध्यानस्थ हैं। बदरीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल बताते हैं कि भगवान बदरी विशाल को विभिन्न युगों में अलग-अलग रूप में जाना गया है।
मानव ही नहीं देवता भी जीवन में भगवान बदरी विशाल के दर्शन को सौभाग्य समझते हैं। बदरीनाथ के कपाट खुलने पर योग ध्यान बदरी पांडुकेश्वर से भगवान श्रीकृष्ण स्वरूप में उनके बाल सखा उद्धव जी और कुबेर मंदिर से कुबेर जी का विग्रह और बोली और जोशीमठ से आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी बदरीनाथ पहुंचीं। बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह जिसे बदरीश पंचायत कहते हैं कपाट खुलने पर भगवान के सानिध्य में उद्धव जी विराजमान होंगे।
कपाटोद्घाटन के अवसर पर श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय, जिलाधिकारी हिमांशु खुराना, पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र डोबाल, सीडीओ डा.ललित नारायण मिश्र, एडीएम डा.अभिषेक त्रिपाठी, बीकेटीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी योगेन्द्र सिंह, सहित मंदिर संमिति के अन्य पदाधिकारी, सदस्य, हकहकूकधारी एवं भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
बैकुंठ धाम में अन्य तीर्थ एवं पर्यटक स्थलों में भी जुटने लगी श्रद्धालुओं की भीड
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही भू-बैकुण्ठ धाम के आसपास तप्तकुण्ड, नारद कुण्ड, शेष नेत्र झील, नीलकण्ठ शिखर, उर्वशी मन्दिर, ब्रह्म कपाल, माता मूर्ति मन्दिर तथा देश के प्रथम गांव माणा, भीमपुल, वसुधारा जल प्रपात एवं अन्य ऐतिहासिक व दार्शनिक स्थलों पर भी श्रद्वालुओं एवं पर्यटकों की भीड जुटने लगी है।