गुजरात
गुजरात के नरोदा गाम दंगा मामले में अदालत के फैसले पर कांग्रेस पार्टी ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रवक्ता जयराम रमेश ने बयान में कहा कि वह बयान देने के लिए विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, यह स्पष्ट है कि मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से चूक हुई है। कांग्रेस ने मामले में पीड़ितों को अपना समर्थन दिया है। 20 अप्रैल को आए अदालत ने अपने आदेश में 68 आरोपियों को बरी कर दिया था। फैसले के बाद पीड़ित पक्ष ने इसे 'न्याय की हत्या' करार दिया था।
दरसअल, 2001 में गुजरात के नरोदा गाम में हुए नरसंहार में 11 लोगों की मौत हो गई थी। बीते गुरुवार को एसआईटी मामलों के स्पेशल जज एसके बक्शी की अदालत ने नरोदा गाम मामले में 68 आरोपियों को बरी कर दिया। इसमें पुलिस ने गुजरात की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत 86 लोगों को आरोपी बनाया था। इनमें से 18 आरोपियों की पूर्व में ही मौत हो चुकी है। फैसला 21 साल बाद आया है।
कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि नरोदा गाम मामले में अपनी भूमिका के प्रदर्शन में अभियोजन पक्ष की ओर से "एक स्पष्ट चूक" हुई है और उसने "पीड़ितों" को अपना समर्थन दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि पार्टी इस मामले पर नजर रखेगी। उन्होंने कहा, "हम एक व्यापक बयान देने के लिए विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि यह स्पष्ट है कि अभियोजन पक्ष की ओर से अपनी भूमिका के प्रदर्शन में एक स्पष्ट चूक हुई है।"
रमेश ने आगे कहा, "न्याय एक अधिकार है जिसे निरंतर निगरानी के माध्यम से सुरक्षित किया जाना चाहिए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस मामले का पालन करना जारी रखेगी। हम इन जघन्य अपराधों के पीड़ितों और उनके जीवित रहने वाले परिवारों के लिए अपने समर्थन की भी पुष्टि करते हैं। हम आशा करते हैं कि न्याय में देरी हो सकती है लेकिन होगा जरूर।"