Home मध्यप्रदेश बैंकों की उदासीनता और लोन की जटिल प्रक्रिया में उलझी उद्यम क्रांति...

बैंकों की उदासीनता और लोन की जटिल प्रक्रिया में उलझी उद्यम क्रांति योजना

8

भोपाल

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना उद्यम क्रांति बैंकों की उदासीनता, सब्सिडी और मार्जिन मनी में कमी और लोन की जटिल प्रक्रिया में उलझ कर रह गई है। इसका असर यह हुआ है कि 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष में सरकार एक लाख लोगों को उद्यम क्रांति योजना में ऋण देने का टारगेट तय करने के बाद महज 45 फीसदी ही सफलता हासिल कर सकी और अब इसका असर यह है कि इस साल सभी जिलों के लिए एक लाख का टारगेट बढ़ाने के बजाय पांच गुना कम करते हुए बीस हजार का टारगेट तय किया जा रहा है।

चुनावी साल में जहां सरकार रोजगार के लिए पर्याप्त मौके देने के साथ स्वरोजगार पर भी फोकस कर रही है और रोजगार मेलों के जरिये युवाओं को लोन दिलाकर स्वरोजगार योजनाओं का लाभ दिलाने पर फोकस किया जा रहा है वहीं मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना का ग्राफ लगातार नीचे की ओर जा रहा है। बताया जाता है कि वित्त वर्ष 2022-23 में एक लाख युवाओं को योजना का लाभ देने के लिए टारगेट रखा गया था जिसमें एक या दो जिले ही सफल हुए और सिर्फ 45 हजार युवाओं को तमाम कोशिश के बाद योजना में पात्र बनाया जा सका। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना को बंद कर उसके बदले शुरू की गई इस योजना को उसकी शर्तों के चलते असफल माना जा रहा है। एमएसएमई अफसरों के अनुसार इससे अधिक वेटेज बैंक प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में दिए जाने वाले लोन को दे रहे हैं और एमएसएमई के माध्यम से मिलने वाले प्रस्तावों को तुरंत मंजूरी दे रहे हैं। इस योजना में 35 प्रतिशत सब्सिडी मिल रही है।

फेल होने के ये मुख्य कारण बताए जा रहे
उद्यम क्रांति योजना की असफलता के पीछे जो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं उसमें योजना में तीन प्रतिशत की सब्सिडी तीन साल के लिए दिया जाना प्रमुख है। इसके साथ ही मार्जिन मनी भी कम है। ऐसे में बैंक इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं क्योंकि उन्हें अधिक वसूली के लिए परेशान होना पड़ेगा। पूर्व में युवा स्वरोजगार योजना में पांच प्रतिशत सब्सिडी और मार्जिन मनी भी ज्यादा थी। बैंक उन योजनाओं में अधिक रुचि लेते हैं जिसमें सब्सिडी और मार्जिन मनी ज्यादा हो। एक अन्य वजह एस-एसटी के युवाओं के लिए पिछले साल शुरू की गई संत रविदास योजना और भगवान बिरसा मुंडा योजना हैं। इन दोनों ही योजनाओं के कारण इस वर्ग के युवा इन योजनाओं में शामिल हो रहे हैैं और उद्यम क्रांति में रुचि घट रही है। साथ ही ओबीसी के लिए पिछड़ा वर्ग स्वरोजगार योजना इसी साल से शुरू हो रही है। इसलिए भी टारगेट पूरा होना संभव नहीं है।

फरवरी-मार्च में अफसरों को वेतन रोकने जारी हुआ था सर्कुलर
इस योजना में पिछले वित्त वर्ष में टारगेट पूरा होने के मामले में स्थिति इतनी खराब थी कि 15 फरवरी तक बीस से अधिक जिलों में 25 प्रतिशत आवेदन एकत्र होने और बैंकों तक पहुंच पाने की कार्यवाही जिलों के अधिकारी नहीं कर पाए थे। इसके चलते एमएसएमई विभाग के संचालनालय की ओर से 25 प्रतिशत से कम प्रोग्रेस वाले जिलों के अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन रोकने का सर्कुलर भी विभागीय स्तर पर जारी हुआ था। दतिया और श्योपुर जिले तमाम कोशिश के बाद भी फरवरी में इस आंकड़े को नहीं छू पाए थे। इसी तरह की स्थिति मार्च में भी थी लेकिन बाद में 31 मार्च तक प्रदेश का प्रोग्रेस 45 प्रतिशत तक आने के चलते सभी के वेतन रिलीज करा दिए गए थे।