Home राज्यों से बिहार-औरंगाबाद में वृक्ष विहीन पहाड़ों को बना रहे हरा-भरा, सीड बॉल तकनीक...

बिहार-औरंगाबाद में वृक्ष विहीन पहाड़ों को बना रहे हरा-भरा, सीड बॉल तकनीक का पायलट प्रोजेक्ट शुरू

16

औरंगाबाद.

बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने राज्य के वृक्ष विहीन पहाड़ों को हरा-भरा बनाने के लिए भारत सरकार के एक उपक्रम के सहयोग से पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। प्रोजेक्ट के तहत आरण्य एक आकाशीय वृक्षारोपण की शुरुआत मंगलवार को विभाग के मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने औरंगाबाद के मदनपुर प्रखंड के भीतरधोकरी गांव के पास उमगा पहाड़ी की तलहट्टी में आयोजित जिला स्तरीय 75वें वन महोत्सव समारोह में की।

इस मौके पर मंत्री ने वृक्षारोपण करने के साथ ही खुद की देखरेख में वृक्ष विहीन उमगा पहाड़ी पर ड्रोन के माध्यम से पौध अंकुरण के लिए सीड बॉल का छिड़काव कराया। इस दौरान मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में औरंगाबाद वन प्रमंडल के तहत क्रियान्वित विभिन्न वृक्षारोपण, मृदा एवं भू-जल संरक्षण एवं आधारभूत संरचना निर्माण की योजनाओं का भी लोकार्पण और शिलान्यास किया। समारोह में मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि ड्रोन के माध्यम से उमगा पहाड़ी पर विभिन्न प्रजातियों के सीड बॉल्स के छिड़काव से वृक्ष विहीन यह पहाड़ आने वाले दिनों में पूरी तरह हरा भरा दिखने लगेगा।

पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर पूरे राज्य में होगा लागू
मंत्री ने कहा कि यह एक पायलट प्रोजेक्ट है, जिसका नाम अरण्य-एक आकाशीय वृक्षारोपण पहल रखा गया है। फिलहाल इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत औरंगाबाद के मदनपुर की उमगा पहाड़ी पर सीड बॉलिंग से की गई है। इसकी अगली कड़ी में 22 अगस्त को नवादा जिले के सिरदला की पहाड़ी पर सीड बॉलिंग होगी, जबकि अंतिम कड़ी में 23 अगस्त को गया के मंगला गौरी में वृक्ष विहीन ब्रहम्योनि पहाड़ पर सीड बॉलिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होगा। प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इस योजना को पूरे राज्य में लागू करते हुए सभी वृक्ष विहीन पहाड़ों को सीड बॉलिंग के माध्यम से हरा भरा बनाने की योजना पर अमल किया जाएगा।

जलवायु परिवर्तन महत्वपूर्ण मुद्दा
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। यह न सिर्फ एक पर्यावरणीय मुद्दा है, बल्कि आर्थिक, सुरक्षात्मक तथा नैतिक मुद्दा भी है। ऐसे में प्रकृति को बचाने के लिए सभी लोगों को एक मंच पर आने की ज़रूरत है। लोगों को पर्यावरण अनुकूलन के लिए व्यापक पैमाने पर पौधारोपन में प्रतिभागी बनने की भी जरूरत है।

310 हेक्टेयर वन भूमि पर लगाए गए तीन लाख 45 हजार पौधे
वहीं, औरंगाबाद की वन प्रमंडल पदाधिकारी रुचि सिंह ने कहा कि औरंगाबाद वन प्रमंडल विभागीय वृक्षारोपण के तहत इस वर्ष 310 हेक्टेयर वन भूमि पर 3,45,000 पौधे विभिन्न योजनाओं के तहत लगाए गए हैं। इसके अलावा जीविका दीदियों के माध्यम से कुल 2,41,000 पौधे वितरित किए जा चुके हैं। विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं, विद्यालय, प्राइवेट सेक्टर यूनिट्स, एनजीओ एवं सरकारी विभागों के माध्यम से अब तक 68,000 पौधे लगाए गए हैं। इसमे छात्र, वक्फ बोर्ड, जंगल के पास बसे गांवों के लोगों की भी सहभागिता रही है। साथ ही कृषि वानिकी के माध्यम से किसानों के बीच अब तक 85,000 पौधे पूरे वन प्रमंडल में वितरित किए जा चुके हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में तीन स्थलों पर मृदा एवं भू-जल संरक्षण कार्य के तहत 1000 हेक्टेयर में कार्य किया गया है। 500 हेक्टेयर कैचमेंट एरिया में गारलैंड ट्रेंच के माध्यम से जल संरक्षण का कार्य कराया गया है, जिससे अनेकों गांवों को सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था की गई है। इससे जंगली जानवरों को भी पीने का पानी उपलब्ध हो रहा है और उन सभी क्षेत्रों में भू-जल स्तर में वृद्धि हुई है। कार्यक्रम में गया वन अंचल के वन संरक्षक एस सुधाकर, औरंगाबाद की वन प्रमंडल पदाधिकारी रूचि सिंह एवं भारत सरकार के एक उपक्रम के अधिकारीगण मौजूद रहे। इस अवसर पर एक स्थानीय प्राइवेट स्कूल के छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहे।

यह है सीड बॉल तकनीक
दरअसल, सीड बॉल मिट्टी, बीज और उर्वरक का एक छोटा सा गोला है। इस गोले का ड्रोन के माध्यम से वृक्ष विहीन पहाड़ों पर छिड़काव किया जाता है। बारिश के पानी से ये सीड बॉल फूल जाते हैं और इनमें पड़े बीज अंकुरित होकर धीरे-धीरे पौध का रूप लेने लगते है। सब कुछ ठीक रहने पर आगे यही पौधे बड़े वृक्ष के रूप में आकार लेंगे। ऐसा होने पर वृक्ष विहीन पहाड़ हरे-भरे दिख सकते हैं। हालांकि विशेषज्ञ कतिपय कारणों से योजना की सफलता पर संदेह जता रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि योजना अच्छी है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में भारी गड़बड़ी की गुंजाइश है। ऐसी स्थिति में यह योजना सिर्फ कागजों पर ही लागू दिखाई पड़ेगी और धरातल पर वृक्ष विहीन पहाड़ वृक्ष विहीन ही नजर आ सकते हैं।