नई दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांग की कि तुरंत जातिगत जनगणना की जाए। खड़गे का पीएम मोदी को लिखा खत ठीक उस घटनाक्रम के बाद आया है जब बीते रोज राहुल ने पीएम मोदी को जाति जनगणना जारी करने की चुनौती दी थी। खड़गे ने मांग की कि 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना भी कराई जानी चाहिए। अपने पत्र में खड़गे ने पीएम मोदी को यूपीए शासन के दौरान की गई जाति आधारित जनगणना याद दिलाई।
खड़गे ने अपने पत्र में क्या लिखा
पीएम मोदी को लिखे पत्र में मल्लिकार्जुन खड़गे लिखते हैं, "आप (पीएम मोदी) जानते हैं कि पहली बार यूपीए सरकार ने 2011-12 के दौरान लगभग 25 करोड़ परिवारों को कवर करते हुए एक सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) आयोजित की थी। हालांकि, कई कारणों से, जाति डेटा प्राप्त नहीं हो सका। भले ही कांग्रेस और अन्य सांसदों ने मई 2014 में आपकी सरकार के सत्ता में आने के बाद इसे जारी करने की मांग की। यह सार्थक सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण कार्यक्रमों के लिए बहुत आवश्यक है।"
कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र सरकार को याद दिलाया कि कैसे जनगणना के आंकड़ों को संकलित करना उनकी जिम्मेदारी थी और आखिरी जनगणना जो 2021 तक होनी थी, उसे स्थगित कर दिया गया था। खड़गे के पत्र में कहा गया है, "हम मांग करते हैं कि इसे तुरंत किया जाए और एक व्यापक जाति जनगणना को इसका अभिन्न अंग बनाया जाए।"
राहुल गांधी की चुनौती
रविवार को कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी को जाति जनगणना जारी करने की चुनौती दी थी। राहुल ने साथ ही यह भी मांग की कि आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाने की भी मांग की थी। बता दें कि कोलार में ही साल 2019 में एक रैली के दौरान मोदी सरनेम पर आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में राहुल गांधी को कोर्ट ने दो साल कैद की सजा सुनाई थी और फिर ठीक एक दिन बाद उनकी लोकसभा सदस्यता भी चली गई।
गौरतलब है कि सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) ग्रामीण और शहरी परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का एक व्यापक अध्ययन है। इसके अतिरिक्त, SECC में एक जाति जनगणना शामिल है, जो जनसंख्या की जाति संरचना के बारे में जानकारी प्रदान करती है। 1931 के बाद इसे बंद कर दिया गया था, लेकिन 2011 में फिर से मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की मंजूरी के बाद आयोजित की गई थी।