रांची.
असम के मुख्यमंत्री और भाजपा झारखंड विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी हिमंता बिस्व सरमा दो दिवसीय सांगठनिक दौरे पर झारखंड पहुंचे हैं। घुसपैठियों वाले सवाल पर उन्होंने बुधवार को कहा, 'झारखंड में कानून भी लागू नहीं हो रहा है। आदिवासी बेटियों के साथ घुसपैठी शादी कर रहे हैं। लेकिन जो कानून का काम है… वह नहीं हो रहा है।' जब पत्रकारों ने उनसे घुसपैठ रोकने में केंद्र सरकार की भूमिका के बारे में पूछा तब सरमा ने कहा, 'देश में घुसपैठिए पहले असम आते हैं। वो पश्चिम बंगाल आते हैं। फिर वो झारखंड, बिहार या छत्तीसगढ़ जाते हैं।'
असम के सीएम हिमंता बिस्व सरमा ने कहा, 'इंटरनेशनल बॉर्डर से जब घुसपैठिए आते हैं तब उन्हें रोकने का काम बीएसएफ का होता है। लेकिन जब एक बार घुसपैठिए अंदर आ चुके हैं तब ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है। झारखंड हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को घुसपैठिओं का पता लगाने और वापस भेजने का निर्देश दिया है। मान लीजिए… खूंटी में दो घुसपैठी आ गए हैं, तो उनको निकालने का काम भारत सरकार नहीं कर सकता, इसका अधिकार राज्य सरकार के पास होता है। मैं यह काम असम में रोज करता हूं। आप (सोरेन सरकार) जिम्मेदारी का पालन नहीं करेंगे और कहेंगे कि दिल्ली (केंद्र सरकार) करे तो आप कुर्सी पर क्यों हैं? आप कुर्सी छोड़ दो। हम लोग करेंगे।'
सोरेन सरकार पर भड़के हिमंता बिस्व सरमा
वहीं मंगलवार को सीएम हिमंता ने झारखंड की वर्तमान सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कही। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार घुसपैठियों के संरक्षण में जुटी है। भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हू की धरती घुसपैठियों की धरती बन रही है। संताल परगना की डेमोग्राफी बदल गई। लव जिहाद, लैंड जिहाद चरम पर है। आदिवासी बेटियों से बांग्लादेशी घुसपैठिए शादी कर जमीन कब्जा कर रहे। उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसा कानून बने जिससे घुसपैठिए आदिवासी बेटियों से शादी नहीं कर सकें। हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि तीसरी बार मोदी सरकार बनाने में पूर्वोत्तर भारत जिनमें असम, झारखंड, बिहार, ओडिशा राज्य शामिल हैं, बड़ा योगदान दिया है। हेमंत सोरेन कोई स्वतंत्रता आंदोलन में जेल नहीं गए थे, बल्कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप में गए थे, वह जमानत पर बाहर हैं।