Home देश क्षेत्रीय भाषाओं में होनी चाहिए कानून की पढ़ाई : न्यामूर्ति डीवाई चंद्रचूड़

क्षेत्रीय भाषाओं में होनी चाहिए कानून की पढ़ाई : न्यामूर्ति डीवाई चंद्रचूड़

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लखनऊ/नई दिल्ली
 भारत के मुख्य न्यायधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में लॉ की पढ़ाई को क्षेत्रीय भाषा में कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अक्सर देश के तमाम शिक्षाविदों से विचार विमर्श करता हूं कि कैसे कानून की पढ़ाई को सरल भाषा में पढ़ाया जा सके। अगर हम कानून के सिद्धांतों को सरल भाषा में आम जनता को नहीं समझा पा रहे हैं तो इसमें कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा की कमी नजर आ रही है।

डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून को पढ़ाने की प्रक्रिया में हमें क्षेत्रीय भाषाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। आरएम एनएलयू को जरूर हिंदी में एलएलबी कोर्स शुरू करना चाहिए। हमारे विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय मुद्दों से जुड़े कानूनों को भी पढ़ाना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति आपके विश्वविद्यालय के पड़ोस के गांव में, गांव से विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय की विधिक सहायता केंद्र में आता है और अपनी जमीन से जुड़ी समस्या को बताता है, लेकिन यदि छात्र को खसरा और खतौनी का मतलब ही नहीं पता है तो छात्र उस व्यक्ति को कैसे मदद कर पाएगा। इसलिए जमीन संबंधित क्षेत्रीय कानूनों के बारे में भी छात्र को अवगत कराना चाहिए।

उन्होंने अपने उद्बोधन में यह भी कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में ऐसे कई निर्देश दिए हैं, जिससे न्याय की प्रक्रिया को आम लोगों के लिए आसान बनाया जा सके। उदाहरण के तौर पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंग्रेजी में दिए गए निर्णयों का भारत के संविधान में प्रचलित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है, जिससे आम जनता भी समझ सके कि निर्णय में आखिर लिखा क्या गया है। आज 1950 से लेकर 2024 तक सर्वोच्च न्यायालय के 37000 निर्णय है, जिनका हिंदी में अनुवाद हो गया है और यह सेवा सब नागरिकों के लिए मुफ्त है।

दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायायल के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमरपाल सिंह, विभागाध्यक्ष विधि प्रो. आदित्य प्रताप सिंह, उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कई न्यायमूर्ति उपस्थित रहे।