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यूपी में कोरोना के 2000 सक्रिय मामले, एक दिन में आए 575 केस

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लखनऊ
 उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार यूपी में बढ़ते कारोन के आंकड़ों को लेकर अलर्ट हो गई है। सरकार ने दावा किया है कि यूपी में कोविड की स्थिति नियंत्रण में है और सरकार पूरी नजर रख रही है। उत्तर प्रदेश में गुरुवार को 575 नए कोविड मामले सामने आए, जो इस साल एक दिन में सबसे ज्यादा है, जबकि हरदोई जिले में एक कोविड पॉजिटिव मरीज की मौत हुई है।

यूपी में बढ़ रहा कोरोना, 2000 सक्रिय मामले हुए
राज्य में सक्रिय कोविड मामलों ने 2000 का आंकड़ा पार कर लिया है। दिन के दौरान, गौतम बुद्ध नगर ने सबसे अधिक 114 नए मामले दर्ज किए, इसके बाद गाजियाबाद (108), लखनऊ (69), वाराणसी (10), बिजनौर (14), बुलंदशहर (14), कानपुर (12), जालौन (12) का स्थान रहा। बाराबंकी (12) और प्रयागराज (14) मामले सामने आए हैं। इस बीच सीएम योगी ने टीम 9 की बैठक में अधिकारियों को हर जिले में कोविड अस्पतालों को सक्रिय करने और निगरानी रखने की सलाह दी है।

सबसे ज्यादा लखनऊ में 400 से ज्यादा सक्रिय मामले
लखनऊ में 415 सक्रिय कोविद मामले हैं, जो राज्य के सभी जिलों में सबसे अधिक हैं। लखनऊ के ऐशबाग में दो नए मामले सामने आए, आलमबाग में 4, चिनहट में 11 और इंदिरा नगर में 13। लखनऊ में कुल 44 और राज्य में 245 मरीज ठीक हुए। यूपी में अब 2094 सक्रिय कोविद मामले हैं। मार्च 2020 में महामारी शुरू होने के बाद से राज्य में अब तक 2132058 मामले और 23653 मौतें हो चुकी हैं। लखनऊ में अब तक 307064 कोविड मामले दर्ज किए गए हैं।

केजीएमयू में अब तक नहीं बनी जैव प्रयोगशाला
भले ही राज्य में हाल के दिनों में कोविड-19 के मामलों में बड़ी तेजी देखी गई है, यूपी सरकार ने अभी तक किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में जैव प्रयोगशाला स्थापित करने की अपनी योजना को आकार नहीं दिया है। 200 करोड़ रुपये से लैब स्थापित करने की योजना की घोषणा राज्य सरकार ने फरवरी 2021 में बजट सत्र के दौरान की थी। प्रयोगशाला को पुणे में राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान की तर्ज पर स्थापित किया जाना था, जो मानव रोगजनकों का अध्ययन करता है।

फिलहाल इस प्रोजेक्ट पर लगी है रोक
केजीएमयू के वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) प्रोफेसर बिपिन पुरी ने कहा, 'सरकार ने फिलहाल प्रोजेक्ट को रोक दिया है।' नाम न छापने की शर्त पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा, चूंकि पिछले दो वर्षों में कोई बड़ा खतरा नहीं था और गंभीर बीमारी के मामले कम थे, इसलिए सरकार परियोजना पर धीमी हो गई।