नई दिल्ली
लोकप्रिय एआई भाषा मॉडल जैसे ओपनएआई के चैटजीपीटी, गूगल के बार्ड इत्यादि काफी ऊर्जा खपत करते हैं। लेकिन एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है कि एआई चैटबॉट के प्रशिक्षण और इसके इस्तेमाल में बड़ी मात्रा में पानी खर्च होता है। नए शोध के अनुसार अकेले जीपीटी-3 के लिए प्रशिक्षण में 1.85 लाख गैलन (7 लाख लीटर) पानी की खपत होती है। यानी एक बार प्रशिक्षित होने में जीपीटी 7 लाख लीटर पानी पी रहा है।यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास आर्लिंगटन तथा यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो रिवरसाइड के शोधकर्ताओं ने "मेकिंग एआई लेस 'थर्स्टी' शीर्षक वाले प्री-प्रिंट पेपर में एआई पानी की खपत का अनुमान प्रकाशित किया है।
डेटा सेंटरों को ठंडा रखने के लिए पानी का इस्तेमाल
एआई चैटबॉट को प्रशिक्षित करने के लए बड़े पैमाने पर सर्वर फार्म की आवश्यकता होती है। इन्हीं डेटा केंद्रों को ठंडा करने के लिए पानी की जरूरत होती है। अध्ययन के अनुसार चैटजीपीटी के साथ एक औसत उपयोगकर्ता के संवाद(25-50 सवाल-जवाब) में 500 मिलीलीटर ताजा पानी खर्च होता है। चैटबॉट की अभूतपूर्व लोकप्रियता को देखा जाए तो शोधकर्ताओं को डर है कि यही स्थिति रही तो पानी की आपूर्ति पर संकट आ सकता है, विशेष रूप से ऐसी स्थिति में जब दुनियाभर में सूखे तथा पर्यावरण की अनिश्चितता बनी हुई है।
प्रशिक्षण में लगनेवाले पानी से बन सकती है 370 बीएमडब्लू
शोधकर्ताओं के अनुसार एआई मॉडल में पानी के इस्तेमाल पर शोध का यह इस तरह का पहला प्रयास है। माइक्रोसॉफ्ट के जीपीटी 3 के प्रशिक्षण के लिए(7लाख लीटर) जितने पानी की जरूरत होती है उससे 370 बीएमडब्लू कारें या 320 टेस्ला इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन हो सकता है। अगर अमेरिका से कहीं और डेटा सेंटर स्थापित किए जाते हैं तो यह खपत 3 गुना बढ़ जाएगी।
प्रशिक्षण का समय सार्वजनिक नहीं, इसलिए अनुमान जटिल
ओपनएआई ने जीपीटी 3 के प्रशिक्षित करने के समय के बारे में जानकारी नहीं दी है। जो शोधकर्ताओं के अनुमानों को जटिल बनाता है। हालांकि उनका अनुमान है कि इसे प्रशिक्षित करने के लिए परमाणु रिएक्टर के कूलिंग टावर को भरने जितना पानी लगा है। शोधकर्ताओं ने कहा कि पानी की खपत की जानकारी अभीतक छिपाकर रखी गई है जो नहीं होना चाहिए। वैश्विक जल चुनौतियों से निपटने के सामूहिक प्रयासों के हिस्से के रूप में इस मुद्दे को भी प्राथमिकता के साथ देखा जाना चाहिए।
चैटबॉट पानी का उपयोग कैसे करते हैं?
– सर्वर रूम का तापमान आमतौर पर 10-26 डिग्री सेल्सियस के बीच रखा जाता है, ताकि उपकरण खराब न हो।
-इस तापमान को बनाए रखना चुनौती है क्योंकि सर्वर स्वयं अपनी विद्युत ऊर्जा को ऊष्मा में परिवर्तित करते हैं।
– गर्मी का मुकाबला करने तथा ठंडे पानी को वाष्पित कर कमरों में आदर्श तापमान बनाए रखने के लिए कूलिंग टावर बनाए जाते हैं।
– कूलिंग टावर से तापमान नियंत्रित तो रहता है लेकिन उन्हें भारी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है।
– शोधकर्ताओं का अनुमान है कि एक औसत डेटा सेंटर में खर्च किए गए प्रत्येक किलोवाट-घंटे के लिए लगभग एक गैलन पानी की खपत होती है।
– कूलिंग टावर में समुद्री जल का उपयोग नहीं होता, डेटा केंद्र स्वच्छ, मीठे पानी के स्रोतों का इस्तेमाल करते हैं।
-कमरों में नमी के लिए ताजा पानी आवश्यक है।