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अमूल दूध के बाद अब गुजराती मिर्च से लाल हुई कर्नाटक की राजनीति, जानें क्या है विवाद

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 बेंगलुरु

कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुना के लिए वोट डाल जाएंगे। इससे पहले प्रदेश की राजनीति में अमूल दूध और नंदिनी की कई सियासी धाराएं बह रही हैं। पक्ष और विपक्ष के द्वारा इस मुद्दे को खूब उछाला जा रहा है। यह सिसायी लड़ाई अब दूध से आगे बढ़कर मिर्च पर जा अटकी है। एशिया के सबसे बड़े मिर्च बाजारों में से एक ब्यादगी में गुजराती मिर्च 'पुष्पा' की चर्चा इन दिनों काफी चर्चा हो रही है। इसे लाली के नाम से भी जाना जाता है।

सूत्रों के मुताबिक, हाल के महीनों में ब्यादगी बाजार में कम से कम 20,000 क्विंटल गुजरात मिर्च बेची गई है। पुष्पा मिर्च स्थानीय किस्मों की तुलना में अधिक लाल दिखती है। हालांकि अपनी लाली को बहुत लंबे समय तक बरकरार नहीं रख पाती है। ब्यादगी बाजार के सूत्रों का कहना है कि कम से कम 70 मिर्च विक्रेताओं ने बाजार के पास अलग-अलग कोल्ड स्टोरेज में गुजराती मिर्च जमा कर रखी है।

रानीबेन्नु तालुक के एक किसान रमन्ना सुदांबी का कहना है, ''डब्बी और कड्डी किस्म की मिर्च के कारण ब्यादगी बाजार ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। ब्यादगी के मिर्च दुनिया के कई देशों में जाते हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थानीय मिर्चों की प्रतिष्ठा खतरे में न पड़े।'' आपको बता दें कि डब्बी और कड्डी की पैदावार कर्नाटक में होती है।

एपीएमसी, ब्यादगी के अतिरिक्त निदेशक और सचिव एचवाई सतीश ने बताया, ''इस सीजन में गुजराती मिर्च की आपूर्ति लगातार बढ़ रही है। एपीएमसी अधिनियम में संशोधन के बाद खरीदार देश में कहीं से भी कृषि उपज खरीद सकते हैं। इसके लिए बाजार समिति से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। ऐसे में एपीएमसी को सीमित करना मुश्किल होगा।  पुष्पा को ब्यादगी मिर्च बाजार के लिए खतरे के रूप में नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि डब्बी और कड्डी ने अपनी अलग पहचान बनाई है।''