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लोक कल्याण के लिए निजी संपत्ति का नहीं किया जा सकता अधिग्रहण: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई चल रही है कि क्या निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को 'समुदाय का भौतिक संसाधन' माना जा सकता है। मामले से जुड़ी सुनवाई के दौरान यह कहा गया कि अनुच्छेद 39(बी) और 31सी की संवैधानिक योजनाओं की आड़ में राज्य अधिकारियों की तरफ से निजी संपत्तियों पर कब्जा नहीं लिया जा सकता है। अब सवाल उठता है कि आखिर ये अनुच्छेद 39बी और 31 है क्या। संविधान का अनुच्छेद 39(बी) राज्य नीति निदेशक तत्वों (डीपीएसपी) का हिस्सा है।

आखिर 39बी में किस बात का जिक्र है?
जैसा की पहले ही जिक्र कर चुके हैं कि संविधान का अनुच्छेद 39 राज्य के नीति निदेशक तत्वों से जुड़ा है। इसमें 39a से 39f तक का जिक्र है। 39a के तहत सभी नागरिकों को आजीविका के पर्याप्त साधन का अधिकार शामिल है। अनुच्छेद 39बी कहता है कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार वितरित किया जाए कि आम हित की पूर्ति हो सके। दूसरे शब्दों में कहें तो आम लोगों की भलाई हो सके। अनुच्छेद 39सी में इस बात का जिक्र है कि राज्य को धन को कुछ हाथों में केंद्रित करने से बचना होगा। अनुच्छेद 39डी में महिला और पुरुष दोनों को समान काम के लिए समान वेतन की बात कही गई है। 39ई में श्रमिकों की ताकत और स्वास्थ्य की सुरक्षा शामिल है। इसके अलावा कहा गया है कि बचपन और युवाओं का शोषण नहीं किया जाएगा। साल 1976 में 42वें संविधान संशोधन किया गया था। इसके अनुसार क्लॉज एफ डाला गया था। इसमें कहा गया था कि बच्चों को स्वस्थ तरीके से और स्वतंत्रता और सम्मान की स्थितियों में विकसित होने के अवसर और सुविधाएं दी जाएं।

अनुच्छेद 31सी में क्या है?
अनुच्छेद 31सी 1971 के 25वें संशोधन अधिनियम द्वारा शामिल किया गया था। इसका उद्देश्य था कि राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में अनुच्छेद 39 (बी) और 39 (सी) के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने वाले अनुच्छेद 14 (समानता) और 19 (स्वतंत्रता) के तहत मौलिक अधिकार कानूनों को कथित उल्लंघन के लिए अदालती जांच से बचाया जा सके। दिसंबर 1976 में इंदिरा गांधी सरकार ने 42वें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से अनुच्छेद 31 सी के दायरे का विस्तार किया था। 1980 में मिनर्वा मिल्स मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संशोधनों को 'बुनियादी संरचना सिद्धांत' के उल्लंघन के रूप में खारिज कर दिया था। हालांकि, इस बात पर अस्पष्टता पैदा कर दी कि क्या अनुच्छेद 31 सी को पूरी तरह से हटा दिया गया था या केवल उस हिस्से को हटा दिया गया था जो 1976 में डाला गया था। मिनर्वा मिल्स के फैसले के कुछ महीनों के भीतर, वामन राव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि 'संविधान का अनुच्छेद 31 सी, जैसा कि यह संविधान (42 वें संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 4 द्वारा संशोधन से पहले था, उस हद तक वैध है। केशवानंद भारती में इसकी संवैधानिकता को बरकरार रखा गया था, क्योंकि यह संविधान (42वें संशोधन) अधिनियम से पहले था, जो संविधान या इसकी मूल संरचना की किसी भी बुनियादी या आवश्यक विशेषता को नुकसान नहीं पहुंचाता है।