रायपुर
लोकतंत्र के चुनावी महायज्ञ में बस्तरियों ने बढ़-चढ़कर आहुति दी है। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार मतदाताओं ने जिन मुद्दों को लेकर चुनाव में वोट डाला है, उसकी आवाज अब अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी प्रभाव डालेगी। दूसरे चरण में 26 अप्रैल को महासमुंद, राजनांदगांव और कांकेर लोकसभा सीटों में मतदान होंगे। इनका कुछ क्षेत्र बस्तर की सीमा से लगा हुआ है। ऐसे में बस्तरिया मन का प्रभाव व संदेश इन क्षेत्रों में भी जाएगा।
राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक बस्तर में मतदान के बाद राजनीतिक दलों ने भी गुणा-भाग करना शुरू कर दिया है और लोगों के मन को टटोलना भी शुरू कर दिया है। यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। प्रदेश में आदिवासी मतदाता 32 प्रतिशत होने के कारण ये निर्णायक भूमिका में भी हैं। बता दें कि प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से पांच सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। बस्तर भी उन्हीं में से एक सीट है।
कांग्रेस रहेगी बरकरार या भाजपा को मिलेगा गढ़
बस्तर के मतदाताओं का मन ईवीएम में कैद हो चुका है और चार जून को परिणाम बताएंगा कि बस्तर के मतदाताओं ने इस बार किस प्रत्याशी पर भरोसा जताया है। वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस के सांसद दीपक बैज हैं। ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीतेंगे या फिर भाजपा का उनका गढ़ वापस मिलेगा।
बस्तर लोकसभा सीट वर्ष 1952 में अस्तित्व में आई। उसके बाद वर्ष 1996 तक यह कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है, मगर 1996 में पहली बार यहां के लोगों ने निर्दलीय प्रत्याशी को चुना। वर्ष 1998 से लेकर 2014 तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर के बावजूद कांग्रेस के बैज ने जीत दर्ज की थी।