नयी दिल्ली
राष्ट्रीय डोपिंग निरोधी एजेंसी की अपील पैनल ने मध्यम दूरी की धाविका शालू चौधरी को डोपिंग के आरोपों से बरी करके चार साल का प्रतिबंध हटा दिया है क्योंकि डीएनए टेस्ट में पता चला कि उनके मूत्र के नमूने से या तो छेड़छाड़ की गई या लेते समय वह दूषित हो गया था।
तीस वर्ष की चौधरी पर पिछले साल प्रतिबंध लगाया गया था और वह नाडा की अनुशासन समिति के सामने अपील हार गई थी। उन्हें दो प्रतिबंधित दवाओं के कथित इस्तेमाल के कारण प्रतिबंध झेलना पड़ा था।
आठ सौ मीटर में राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता चौधरी ने मूत्र के नमूने के डीएनए टेस्ट की मांग की जिसे अनुशासन समिति ने तो खारिज कर दिया लेकिन अपील पैनल ने मान लिया। डीएनए जांच लंदन के किंग्स कॉलेज स्थित फारेंसिंक विभाग द्वारा कराई गई।
अपीली पैनल ने कहा, ‘‘मूत्र के नमूने के पिछले विश्लेषण में डीएनए प्रोफाइल सही नहीं आया है। डीएनए नमूने की जांच रिपोर्ट को देखते हुए नाडा के वकील कोई और कारण नहीं बता पाये है जिससे अपीली पैनल खिलाड़ी की अपील खारिज करने का फैसला ले।''
इसने कहा, ‘‘नाडा के वकील ने डीएनए रिपोर्ट मान ली और इसके नतीजे को चुनौती नहीं दी है। इसके मद्देनजर डोपिंग निरोधक पैनल द्वारा 11 अप्रैल 2023 को दिया गया फैसला दरकिनार किया जाता है। खिलाड़ी पर लगाया गया चार साल का प्रतिबंध खारिज कर दिया गया है। इसके साथ ही 13 जून 2022 से प्रतिस्पर्धाओं में उनके नतीजे रद्द करने के निर्देश भी खारिज किये जाते हैं।''
पैनल ने 18 अप्रैल को आदेश दिये जाने के दस दिन के भीतर डीएनए टेस्ट पर हुआ डेढ लाख रूपये का खर्च भी चौधरी को भुगतान करने का नाडा को निर्देश दिया।