नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बड़ा बयान दिया है और बीजेपी के दावों को सही ठहराया है. उन्होंने दक्षिण और पूर्वी भारत के राज्यों में भी बीजेपी के मजबूत होने की बात कही है. प्रशांत किशोर ने कहा, सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी दक्षिण और पूर्वी इलाके में भी अपनी सीटों और वोट शेयर में उल्लेखनीय बढ़त हासिल करेगी. हालांकि, उन्होंने जोड़ा कि कर्नाटक को छोड़कर इन दो क्षेत्रों में पार्टी बहुत कमजोर है. प्रशांत किशोर का कहना था कि बीजेपी इस बार आम चुनाव में 300 से ज्यादा सीटें जीत सकती है.
प्रशांत किशोर का दावा अगर सही निकलता है तो बीजेपी केंद्र में सरकार बनाने के लिए जरूरी जादुई आंकड़े से काफी आगे निकल रही है. न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने यह भी कहा, बीजेपी के स्पष्ट प्रभुत्व के बावजूद ना तो पार्टी और ना ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अजेय हैं. उन्होंने ये भी इशारा किया कि विपक्ष के पास बीजेपी के रथ को रोकने की तीन अलग-अलग और यथार्थवादी संभावनाएं थीं, लेकिन आलस्य और गलत रणनीतियों के कारण उन्होंने अवसरों को गंवा दिया.
'बंगाल में नंबर वन पार्टी बनने जा रही है बीजेपी'
उन्होंने कहा, तेलंगाना में वे (बीजेपी) पहली या दूसरी पार्टी बनेंगे, जो एक बड़ी बात है. वे ओडिशा में निश्चित रूप से नंबर एक पार्टी होंगे. आपको आश्चर्च होगा, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी ही नंबर एक पार्टी बनने जा रही है. उन्होंने कहा, तमिलनाडु में भी इस बार बीजेपी का वोट शेयर डबल डिजिट में पहुंच सकता है.
'राहुल को सलाह, ब्रेक लेने में कोई बुराई नहीं है'
प्रशांत किशोर का कहना था कि राहुल गांधी को ऐसा लगता है कि वो सब कुछ जानते हैं. कोई तब तक आपकी मदद नहीं कर सकता है, जब तक आप मदद की जरूरत को नहीं पहचानेंगे. राहुल को सिर्फ ऐसे शख्स की जरूरत है जो वो काम करे, जो उनके (राहुल) हिसाब से सही है. ये संभव नहीं है. अब उन्हें कुछ वक्त के लिए ब्रेक लेना चाहिए. जब आप पिछले 10 साल से एक ही काम कर रहे हैं और उसमें कोई सफलता नहीं मिल रही है तो ब्रेक लेने में कोई बुराई नहीं है. आपको इसे किसी और को पांच साल के लिए करने देना चाहिए. आपकी मां ने भी ऐसा ही किया था.
प्रशांत ने ये बात सोनिया गांधी के उस फैसले को लेकर कही, जिसमें उन्होंने पति राजीव गांधी की हत्या के बाद राजनीति से दूर रहने और 1991 में पीवी नरसिम्हा राव को कार्यभार संभालने के लिए कहा था. प्रशांत ने कहा, दुनियाभर में अच्छे नेताओं की एक प्रमुख विशेषता यह है कि वे जानते हैं कि उनके पास क्या कमी है और सक्रिय रूप से उन कमियों को भरने के लिए तत्पर रहते हैं.
प्रशांत का कहना था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और तब उन्होंने कहा था कि वो पीछे हट जाएंगे और किसी और को काम करने देंगे. लेकिन आज वो उसके विपरीत काम कर रहे हैं.
प्रशांत किशोर ने कहा,'राहुल गांधी पिछले 10 सालों से कांग्रेस को असफल तरीके से चला रहे हैं. इसके बाद भी वह अलग हटने और किसी दूसरे को पार्टी की कमान सौंपने के लिए तैयार नहीं हैं. जब पिछले 10 साल से एक ही काम बिना किसी सफलता के कर रहे हैं तो ब्रेक लेने में कोई हर्ज नहीं है. आपको इसे किसी और को 5 साल के लिए करने देना चाहिए.'
'…तब ही की जा सकती है मदद'
पीके ने कहा,'दुनियाभर के अच्छे नेताओं में एक अच्छा गुण ये भी है कि वे कमियों को स्वीकार करते हैं और सक्रिय रूप से उन्हें दूर करने की कोशिश भी करते हैं. लेकिन राहुल गांधी को ऐसा लगता है कि उन्हें सब पता है. सच यह है कि अगर आपको नहीं लगता की मदद की जरूरत है तो कोई भी आपकी मदद नहीं कर सकता. राहुल को लगता है कि उन्हें किसी ऐसे शख्स की जरूरत है, जो उस काम का क्रियान्वयन करे, जो उन्हें सही लगता है. लेकिन यह संभव नहीं है.'
राहुल के बयान का किया जिक्र
PK ने 2019 के चुनावों में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के पद से राहुल के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा,'राहुल गांधी ने तब कहा था कि वह पीछे हट जाएंगे और किसी और को कार्यभार संभालने देंगे. हालांकि, व्यवहारिक तौर पर उन्होंने अपने शब्दों के विपरीत काम किया है.'
पार्टी के अंदर नहीं ले सकते निर्णय
पीके ने राहुल गांधी से असहमति की जरूरत पर कहा,'कई नेता निजी तौर पर स्वीकार करते हैं कि वे 'xyz' की मंजूरी के बिना पार्टी के अंदर कोई भी निर्णय नहीं ले सकते. कांग्रेस और उसके समर्थक किसी भी व्यक्ति से ऊपर हैं. राहुल गांधी को इस बात पर जोर नहीं देना चाहिए कि बार-बार विफलताओं के बावजूद उन्हें अकेले ही पार्टी के लिए काम करना होगा.'
कांग्रेस की हार के ठीकरे पर क्या बोले PK?
प्रशांत किशोर से राहुल गांधी के उस दावे पर सवाल पूछा गया, जिसमें पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष चुनावी असफलताओं का ठीकरा चुनाव आयोग, न्यायपालिका और मीडिया पर फोड़ते हैं. इस पर पीके ने कहा कि आंशिक रूप से इसमें कुछ सच्चाई हो सकती है, लेकिन इससे पूरी तस्वीर पेश नहीं होती है. 2014 के चुनावों में सत्ता में होने के बावजूद कांग्रेस 206 सीटों से गिरकर 44 पर आ गई थी. उस समय भाजपा का संस्थानों पर सीमित प्रभाव था.
जन सुराज यात्रा निकाल रहे हैं प्रशांत किशोर
बता दें कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर I-PAC नाम की एक चुनावी रणनीति बनाने वाली कंपनी का संचालन करते थे. हालांकि, उनका दावा है कि अब उन्होंने इस कंपनी से खुद को अलग कर लिया है. इन दिनों वह बिहार में जन सुराज यात्रा निकाल रहे हैं.