न्यूयॉर्क
'फोबिया सिर्फ इब्राहीम धर्मों तक ही सीमित नहीं है. ऐसे कई सबूत हैं जिससे समझा जा सकता है कि गैर-इब्राहीम धर्म भी इससे प्रभावित हैं.' भारत ने शुक्रवार को यूनाइटेड नेशन में यहूदी-विरोधी, क्रिस्चियनोफोबिया या इस्लामोफोबिया की निंदा की लेकिन हिंदू, बौद्ध और सिखों को प्रभावित करने वाले फोबिया पर भी जोड़ दिया और कहा कि इब्राहीम धर्मों से परे धार्मिक भय को पहचानने की जरूरत है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस्लामोफोबिया से निपटने को लेकर पाकिस्तान ने एक प्रस्ताव पेश किया था, जिससे भारत ने दूरी बनाई. यूनाइटेड नेशन में भारत की स्थायी प्रतिनिधिस रुचिरा कंबोज ने कहा, "…बहुलवाद के एक प्राउड चैंपियन के रूप में भारत सभी धर्मों और सभी आस्थाओं के समान संरक्षण और प्रचार के सिद्धांत को मजबूती से कायम रखता है… यह स्वीकार करना भी जरूरी है कि फोबिया इब्राहिम धर्म से भी आगे तक फैला है."
'गुरुद्वारों, मठों और मंदिरों जैसे धार्मिक स्थानों पर हमले बढ़े'
रुचिरा कंबोज ने कहा कि दशकों के सबूत से पता चलता है कि गैर-इब्राहीम धर्म के मानने वाले भी धार्मिक फोबिया यानी डर से प्रभावित हुए हैं. विशेष रूप से हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी तत्व भी सामने आए हैं. गुरुद्वारों, मठों और मंदिरों जैसे धार्मिक स्थानों पर बढ़ते हमलों से यह स्पष्ट है कि फोबिया से किस तरह अन्य धर्म भी प्रभावित हैं."
115 ने पक्ष में किया वोट, 44 देश ने बनाई दूरी
193 सदस्यीय यूएनजी ने पाकिस्तान द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव 'इस्लामोफोबिया से निपटने के उपाय' को एडॉप्ट किया, जिसपर 115 देशों ने पक्ष में वोटिंग की. किसी भी देश ने इसका विरोध नहीं किया. हालांकि, भारत, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूक्रेन और ब्रिटेन सहित 44 देशों ने प्रस्ताव पर मतदान से दूरी बनाई.
'… तो यूनाइटेड नेशन बंट सकता है'
भारत ने इस बात पर जोर दिया कि प्रस्ताव को अपनाने से ऐसी मिसाल कायम नहीं होनी चाहिए, जिससे विशिष्ट धर्मों से जुड़े प्रस्ताव भी सामने आए, जो संभावित रूप से यूनाइटेड नेशन को धार्मिक कैंप्स में बांट सकता है. रुचिरा कंबोज ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र के लिए यह जरूरी है कि वह ऐसी धार्मिक चिंताओं से ऊपर अपना रुख बनाए रखे, जो दुनिया को एक वैश्विक परिवार के रूप में गले लगाते हुए शांति और सद्भाव के बैनर तले हमें एकजुट करने के बजाय हमें खंडित करने की क्षमता रखती है."