कराची
बॉलीवुड के लेजेंड, स्वर्गीय एक्टर दिलीप कुमार की एक विरासत पर पाकिस्तान में बड़ा खतरा बन आया है. दिलीप कुमार की जड़ें पाकिस्तान में थीं और वहां उनका पुश्तैनी घर आज भी है. मगर अब ये घर काफी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है.
रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान में पिछले कई दिनों से जारी भारी बारिश में इस घर को काफी नुकसान पहुंचा है. बता दें, दिलीप साहब का घर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा इलाके में है. 2014 में पाकिस्तान ने इसे 'नेशनल हेरिटेज मॉन्यूमेंट' घोषित किया था.
पाकिस्तान में बारिश का कहर
मार्च की शुरुआत से ही पाकिस्तान के कई इलाकों में मूसलाधार बारिश का कहर जारी है. रिपोर्ट्स बताती हैं इस भयानक बारिश से वहां पर 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. बारिश ने खैबर पख्तूनवा आर्काइव डिपार्टमेंट की भी पोल खोल दी है, जिसने दिलीप कुमार के घर के रेनोवेशन और संरक्षण का दावा किया था.
यहीं बीता था दिलीप कुमार का बचपन
दिलीप कुमार के बारे में ये बात सभी जानते हैं कि उनका रियल नाम मोहम्मद युसूफ खान था. उनका जन्म 1922 में इसी घर में हुआ था जो पेशावर शहर के ऐतिहासिक किस्सा ख्वानी बाजार के पीछे, मोहल्ला खुदादाद में है. उन्होंने अपने बचपन के 12 साल यहीं पर बिताए थे. इसके बाद वो भारत चले आए थे और यहां पर उन्होंने पुणे में एक मेवे की दुकान और कैंटीन खोलकर काम शुरू किया था. 1947 में आजादी के बाद हुए बंटवारे के बाद, उनके परिवार ने बॉम्बे (अब मुंबई) में ही रहना चुना.
13 जुलाई 2014 को पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने दिलीप साहब के घर को पाकिस्तान की 'राष्ट्रीय विरासत' घोषित किया था. कुमार कई साल बाद एक बार अपने उस घर गए थे और उन्होंने इमोशनल होकर वहां की मिट्टी को चूम लिया था.
खैबर पख्तूनवा के सेक्रेटरी ऑफ हेरिटेज, शकील वहीदुल्लाह खान ने कहा कि पेशावर में हुई बारिशों ने दिलीप साहब के घर को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने ये भी कहा कि पिछली सरकारों ने इसके लिए बहुत सारे ग्रांट्स दिए थे, मगर इस राष्ट्रीय विरासत को सुरक्षित रखने और इसके संरक्षण पर एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया.
इस प्रॉपर्टी के केयरटेकर मुहम्मद अली मीर ने बताया कि आर्काइव डिपार्टमेंट के हाथों में जाने से पहले वो इसका ध्यान बहुत अच्छे से रख रहे थे. उनका कहना है कि आर्काइव डिपार्टमेंट के हाथों में जाने के बाद इसकी हालत खराब होती चली गई.
7 जुलाई, 2021 में, 98 साल की उम्र में दिलीप साहब ने मुंबई में आखिरी सांस ली थी. वो हमेशा पेशावर को अपने दिल के बहुत करीब बताते थे और अपने बचपन के दिनों को याद किया करते थे.