वाशिंगटन
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष जारी है. अब इस युद्ध को लेकर एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि साल 2022 के अंत में रूस-यूक्रेन पर परमाणु हमले की योजना बना रहा था. इस हमले को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुछ देशों के नेताओं मुख्य भूमिका निभाई थी.
सीएनएन ने रविवार को एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 2 सीनियर अधिकारियों के हवाले से दावा करते हुए बताया कि साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुछ देशों के नेताओं ने रूस के राष्ट्रपति से बात कर यूक्रेन में होने वाले परमाणु हमले को रोकने में मदद की थी.
भारत सहित अन्य देशों की मदद से टला संकट: रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन परेशान था कि रूस-यूक्रेन को खत्म करने के लिए सामरिक या परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. इसको लेकर अमेरिका ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य देशों के नेताओं से से संपर्क किया और हमने साफ संदेश दिया. जिससे हमें इस भीषण संकट को टालने में मदद मिली.
भारत की अपील के बाद बढ़ा दबाव
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि रूस के इस कदम के बारे में 2022 के अंत में पता चला था. जब यूक्रेनी सेनाएं दक्षिण में रूस के कब्जे वाले खेरसन पर आगे बढ़ रही थीं और उन्होंने पूरी रूसी सेना को घेर लिया था. अमेरिकी प्रशासन के अंदर चर्चा थी कि दोनों देश के बीच खेरसन में पैदा हुई स्थिति परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के लिए संभावित ट्रिगर हो सकती है. इसके बाद अमेरिका ने भारत सहित अन्य ग्लोबल साउथ के देशों की मदद मांगी. वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, अमेरिका की गुहार के बाद भारत-चीन सहित अन्य देशों ने रूस से संपर्क किया और दबाव बढ़ाया.
वहीं, रूस-यूक्रेन वॉर के मामले में भारत ने हमेशा नागरिक हत्याओं की निंदा की है और युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया है. पीएम मोदी ने उज्बेकिस्तान में एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर पुतिन से कहा था कि ये युद्ध का युग नहीं है.
यूक्रेन के इन शहरों पर है रूस की सेना का कब्जा
बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच जंग 24 फरवरी, 2022 शुरू हुई थी. जो अबतक जारी है. दो साल से ज्यादा वक्त के भी न तो रूस और न ही यूक्रेन पीछे हटने को तैयार है. रूसी सेना ने फिलहाल यूक्रेन के कई शहरों अपना कब्जा जमाया हुआ है. पूर्वी यूक्रेन के बखमुत शहर पर कब्जा इसमें सबसे अहम है. ये यूक्रेन की राजनीति का केंद्र कह जाता है. इसके पास ही डोनेट्स्क के दो बड़े शहरों पर भी रूस ने काफी हद तक अपना कंट्रोल हासिल कर लिया है. लुहान्स्क भी रूसी कब्जे में है, जबकि क्रीमिया पर तो रूस साल 2014 से अधिकार जमाए हुए है. यूक्रेन तबाही के बीच भी अपने शहरों से रूसी सेना को खदेड़ने की कोशिश कर रहा है.
क्या है विवाद
रूस-यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 में तब शुरू हुआ था. जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ. यानुकोविच को रूस का समर्थन हासिल था, जबकि प्रदर्शनकारियों को अमेरिका और ब्रिटेन का समर्थन था. बगावत के चलते फरवरी 2014 में यूक्रेन के राष्ट्रपति यानुकोविच को देश छोड़कर रूस में शरण लेनी पड़ी थी. यहीं से विवाद की शुरुआत हुई और पलटवार करते हुए रूस ने दक्षिणी यूक्रेन क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. बात यहीं नहीं रुकी, रूस ने यूक्रेन के अलगाववादियों को खुला समर्थन दिया. तभी से यूक्रेन सेना और अलगाववादियों के बीच जंग जारी है.