पटना
भाजपा ने लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में 195 नामों का ऐलान किया था। इस लिस्ट में यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली, बंगाल, हरियाणा समेत 10 राज्यों के उम्मीदवार शामिल थे। लेकिन अब तक महाराष्ट्र और बिहार की सीटों पर कोई ऐलान नहीं हुआ है। इसकी वजह यह है कि महाराष्ट्र में भाजपा की एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ खींचतान चल रही है। वहां भाजपा ने दोनों सहयोगियों को मिलाकर 13 सीट का ऑफर दिया और खुद 48 में से 35 पर लड़ने की तैयारी कर रही है। भाजपा ने तर्क दिया है कि एकनाथ शिंदे को हमने कम विधायकों के बाद भी सीएम बनाया है। ऐसे में उन्हें लोकसभा सीटों के मामले में त्याग करना चाहिए।
अब ऐसी ही स्थिति बिहार में भी देखी जा रही है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के साथ आए बिहार के सीएम नीतीश कुमार को यहां त्याग करना पड़ सकता है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी राज्य की 40 में से 22 पर लड़ने की तैयारी में है। वहीं जेडीयू को वह 12 से 14 सीटें ही देने के लिए तैयार है। इसके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुटों को मिलाकर 4 सीटें दी जा सकती हैं। एक-एक सीट जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के खाते में जा सकती हैं। हालांकि अब तक जेडीयू की ओर से इस ऑफर पर सहमति नहीं दी गई है। इसी के चलते अब तक बिहार में सीट बंटवारा नहीं हो सका है।
अब एक समस्या यह आ गई है कि नीतीश कुमार बुधवार को 4 दिनों के दौरे पर ब्रिटेन चले गए। उनके साथ पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा भी गए हैं। माना जा रहा है कि अब नीतीश कुमार की अगले सप्ताह ही भाजपा की लीडरशिप से मुलाकात होगी। तभी सीट बंटवारे पर बात कुछ आगे बढ़ सकेगी। बता दें कि 2019 के चुनाव में भी भाजपा और जेडीयू साथ थे। तब एनडीए ने राज्य की 40 में से 39 सीटें जीत ली थीं। भाजपा को 17 सीटें मिली थीं और जेडीयू को 16 पर जीत मिली थी। वहीं लोक जनशक्ति पार्टी को 6 सीटों पर विजय हासिल हुई थी।
कांग्रेस को महज एक सीट मिली थी और आरजेडी का तो खाता भी नहीं खुला था। लेकिन इस बार भाजपा ने नीतीश कुमार को विधानसभा की ताकत का हवाला देते हुए कहा है कि हम आपसे बड़े मजबूत दल हैं। ऐसे में हमें सीनियर पार्टनर के तौर पर ही चुनाव में उतरना होगा। बता दें कि बीते एक सप्ताह के अंदर पीएम नरेंद्र मोदी दो बार बिहार का दौरा कर चुके हैं। इस दौरान नीतीश कुमार भी मंच पर दिखे और कहा कि हम कुछ वक्त के लिए गायब हो गए थे। लेकिन अब साथ छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।