नई दिल्ली
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ‘ग्लोबल साउथ’ में भारत के नेतृत्व पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि इस मंच के 125 देशों ने भारत पर अपना विश्वास जताया है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्लोबल साउथ की चिंताओं पर विचार के लिए पिछले साल भारत द्वारा आहूत दो बैठकों में चीन शामिल नहीं हुआ। यहां भारत-जापान साझेदारी पर ‘निक्की फोरम’ को संबोधित करते हुए भारत के शीर्ष राजनयिक ने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देश कई मुद्दों पर एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति रखते हैं।
‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है। जयशंकर ने कहा, ‘‘कई मुद्दों पर ये देश एक-दूसरे के प्रति सहानूभूति रखते हैं। कोविड से यह भावना बढ़ गयी, क्योंकि ग्लोबल साउथ के कई देशों को लगा कि वे टीका मिलने के मामले में कतार में सबसे पीछे खड़े हैं। जब भारत जी20 का अध्यक्ष बना, तब भी उन्हें लगा कि उनकी चिंताएं जी20 के एजेंडे में भी नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमने ग्लोबल साउथ के नेताओं के साथ दो बैठकें कीं, क्योंकि हम इन 125 देशों की आवाज सुनना चाहते थे और फिर जी20 के समक्ष कई मुद्दे रखे, जो इन 125 देशों के सामूहिक विचार थे।’’ उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देश जानते हैं कि असल में क्या हो रहा है, उनके लिए कौन बोल रहा है और उनके मुद्दों पर कैसे बातचीत की जा रही है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘वे यह नहीं मानते कि यह महज संयोग है कि भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकी संघ को जी20 की सदस्यता मिली। इसलिए ग्लोबल साउथ हम पर यकीन करता है।’’ उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के शामिल न होने के संदर्भ में कहा, ‘‘पिछले साल उनकी (ग्लोबल साउथ की) चिंताओं को सुनने के लिए हमने जो दो शिखर सम्मेलन आयोजित किए, मुझे नहीं लगता कि चीन उसमें उपस्थित हुआ था।’’