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विज्ञान भवन में “राष्ट्रीय आयुष सम्मेलन” का आयोजन, उपसभापति हरिवंश होंगे मुख्य अतिथि

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नई दिल्ली
आयुष्मान और इंटीग्रेटेड आयुष काउन्सिल के संयुक्त तत्वावधान द्वारा आगामी 21-22 मार्च, 2024 को विज्ञान भवन में "राष्ट्रीय आयुष सम्मेलन" का आयोजन किया जा रहा है। इसे लेकर विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विपिन कुमार ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को आमंत्रित किया है। विदित हो कि उक्त राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रम में शामिल होने हेतु उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह जी ने बतौर मुख्य अतिथि सहमति प्रदान कर दी है। बता दें कि इस सम्मेलन का आयोजन आयुष्यमान और इंटीग्रेटेड आयुष काउन्सिल के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है और इस वर्ष सम्मेलन का विषय "विकसित भारत का आधार- आयुष से आरोग्य" है। इस सम्मेलन की अध्यक्षता पद्मश्री, पद्मभूषण यार्लगड्डा लक्ष्मीप्रसाद जी द्वारा की जा रही है, जो भारत सरकार के संसदीय राजभाषा समिति के पूर्व उपाध्यक्ष/ राज्यसभा सांसद रहे हैं।

वहीं, कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर आरएसएस के वरिष्ठ अधिकारी रवि अय्यर, इंटीग्रेटेड आयुष काउन्सिल के अध्यक्ष डॉ सृष्टा नड्डा, पद्मश्री खादर वली, एम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पी के सिन्हा, ह्रदय रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. एस.सी. मनचंदा, पद्मभूषण प्रख्यात वैद्य डॉ देवेंद्र त्रिगुणा सहित देश के नामी-गिरामी आयुष चिकित्सक एवं आयुष प्रेमी लोग भाग लेंगे। गौरतलब है कि आयुष, आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, यूनानी,सिद्ध और होम्योपैथी जैसी भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों का प्रतिनिधित्व करता है। यह न केवल रोगों का इलाज करता है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य और खुशी को भी बढ़ावा देता है।

भारत, जो अपने प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर के लिए मशहूर है, आज एक स्वस्थ और समृद्ध देश की दिशा में आगे बढ़ रहा है। "आयुष से आरोग्य" इस विकसित भारत की नींव है जो हमें सभी नागरिकों को एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन की प्राप्ति की दिशा में मदद करती है। आयुष शब्द का अर्थ है आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, और होम्योपैथी, जो हमारे पूर्वजों द्वारा प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों का समृद्ध भंडार हैं। इन पद्धतियों को मिलाकर बनी "आयुष" नामक नई चिकित्सा प्रणाली हमें स्वास्थ्य और विकास के क्षेत्र में नए दरवाजे खोल रही है।

आयुष से विकसित भारत की एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह लोगों को स्वास्थ्य की देखभाल में मदद करता है। यह न केवल रोगों की रोकथाम में सहारा प्रदान करता है, बल्कि यह सभी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाने में भी मदद करता है। आयुर्वेद, योग, और प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों का पालन करते हुए, यह सस्ती चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करता है जिससे लोगों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। इसके अलावा, आयुष ने नए रोजगार के अवसर भी बनाए हैं। यह चिकित्सा प्रणाली न केवल चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को रोजगार का मौका देती है, बल्कि परंपरागत चिकित्सा के क्षेत्र में भी नौकरियों का अवसर प्रदान करती है।

आयुष से विकसित भारत की एक और महत्वपूर्ण पहलू है सामाजिक विकास। यह समाज के सभी वर्गों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का लक्ष्य रखता है और लोगों को मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में मदद करता है। आयुष से आरोग्य का सिद्धांत एक सुंदर भविष्य की ओर हमें मोड़ने का एक अद्वितीय तरीका है। इसके माध्यम से हम एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में बढ़ सकते हैं जिससे राष्ट्र का स्वास्थ्य और विकास सुनिश्चित हो सकता है। "आयुष से आरोग्य" हमें एक बेहतर भविष्य की दिशा में बढ़ने के लिए एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने के लिए अनुप्रेरित करता है। यह न केवल हमारा स्वास्थ्य संबर्धन करता है, बल्कि हमें एक समृद्ध, समर्थ, और समग्र विकसित राष्ट्र की दिशा में आगे बढ़ने का भी मार्गदर्शन भी करता है।

"विकसित भारत का आधार-आयुष से आरोग्य:" सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारतीय जनता को आयुष चिकित्सा पद्धतियों का समुचित लाभ प्रदान करना है। इस सम्मेलन के अंतर्गत लोगों को आयुष चिकित्सा पद्धतियों के लाभों और महत्व के बारे में जागरूक करने के अलावा, आयुष चिकित्सा पद्धतियों के बारे में गलत धारणाओं को दूर करने, आयुष चिकित्सा पद्धतियों में शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने, आयुष चिकित्सा पद्धतियों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण संस्थानों की स्थापना करने, आयुष चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए नीतियां और कार्यक्रम बनाने, आयुष चिकित्सा पद्धतियों के लिए सरकारी सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करने जैसे कई मुद्दों पर विमर्श किया जाएगा। इस सम्मेलन का मुख्य लक्ष्य है लोगों को स्वस्थ जीवनशैली की प्रेरणा देना, जिसमें वे आयुर्वेदिक और योग का सही तरीके से लाभ उठा सकें। इसके अंतर्गत सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों, स्कूलों और समुदायों में आयुष चिकित्सा केंद्रों की स्थापना करने का लक्ष्य है, ताकि लोग इस सांस्कृतिक धरोहर को सीख सकें और इसे अपना सकें।