शिमला
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर संकट में घिर गई है. उनके खिलाफ पार्टी के विधायकों ने खुलकर मोर्चा खोल रखा है. एक दिन पहले मंगलवार को राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग की और फिर दूसरे दिन सुक्खू को सीएम पद से हटाने की मांग पर अड़ गए हैं. पार्टी हाईकमान पशोपेश में है और बागी विधायकों को मनाने में जुटा है. इस बीच, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोर्चा संभाल लिया है और हिमाचल में सत्ता से लेकर संगठन तक सामंजस्य बनाने के लिए फॉर्मूले पर मंथन शुरू कर दिया है.
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से पार्टी विधायकों में नाराजगी देखी जा रही है. राज्यसभा चुनाव की वोटिंग करीब आते ही खफा चल रहे विधायकों ने अपनी ताकत का एहसास दिया. हालांकि, वोटिंग से पहले मंगलवार को कुछ विधायकों ने प्रियंका गांधी वाड्रा से फोन पर बात की थी और पूरे घटनाक्रम के संबंध में जानकारी दी थी.
'विक्रमादित्य ने भी प्रियंका से बात की'
सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी ने हिमाचल के पार्टी विधायकों की बात सुनी और फिर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को राजनीतिक हालात की जानकारी दी. एक दिन पहले ही कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने भी प्रियंका गांधी से फोन पर बात की थी और अपनी नाराजगी की वजह गिनाई थीं.
'फॉर्मूला निकालने में जुटा है पार्टी हाईकमान'
फिलहाल, प्रियंका गांधी खुद हालात पर नजर रख रही हैं. वे सीएम सुखिवंदर सिंह सुक्खू और प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला से भी लगातार संपर्क में हैं और नाराजगी दूर करने के लिए फॉर्मूला निकालने पर चर्चा कर रही हैं. हाईकमान को उम्मीद है कि जल्द ही नाराज विधायकों को मना लिया जाएगा.
'बजट सत्र खत्म होने के बाद नेतृत्व पर विचार?'
कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि इस समय पूरी ताकत सरकार बचाने पर लगाई जा रही है. विधानसभा का बजट सत्र खत्म होने के बाद नेतृत्व के मुद्दे पर विचार किया जाएगा. इसलिए नेतृत्व ने अभी तक सुक्खू को इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा है और ना ही इस मामले पर कोई बयान दिया जा रहा है.
पर्यवेक्षक बनाकर भेजे गए हैं डीके शिवकुमार और हुड्डा
कांग्रेस ने हिमाचल का संकट दूर करने के लिए कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा को जिम्मेदारी सौंपी है. दोनों नेता हिमाचल प्रदेश में डेरा डाले हैं और कांग्रेस विधायकों से बात कर रहे हैं.
'विक्रमादित्य ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया'
इससे पहले पूर्व सीएम दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने अपने पिता का अपमान बताते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. वे सुक्खू सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री थे. विक्रमादित्य की मां प्रतिभा सिंह हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की अध्यक्ष हैं और पार्टी की सांसद हैं.
सुक्खू ने भी इस्तीफे की पेशकश की
विक्रमादित्य और अन्य विधायकों की नाराजगी को देखते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कदम पीछे खींचे हैं और अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी है. सूत्रों की मानें तो सुक्खू ने सरकार को बचाने के लिए पार्टी की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षकों के सामने अपने इस्तीफे की पेशकश की है.
हिमाचल प्रदेश में सरकार पर संकट मंगलवार को उस वक्त खड़ा हो गया जब 40 विधायकों वाली कांग्रेस का उम्मीदवार राज्यसभा चुनाव में हार गया। 6 कांग्रस और 3 निर्दलीय विधायकों ने भाजपा के हक में वोटिंग करके भगवा पार्टी के प्रत्याशी हर्ष महाजन को जितवा दिया। रही सही कसर वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य के इस्तीफे ने पूरी कर दी। उन्होंने अपने पिता, अपने और विधायकों के अपमान का आरोप लगाते हुए पद छोड़ दिया।
बताया जा रहा है कि विक्रमादित्य सिंह ने भी कांग्रेस हाईकमान के सामने अपनी बात रख दी है। उन्होंने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा कि अब सबकुछ हाईकमान के नतीजे पर निर्भर करता है। बगावत करने वाले विधायक वीरभद्र सिंह के समर्थक बताए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि बागी विधायक नए सीएम के तौर पर विक्रमादित्य का नाम आगे कर सकते हैं।
सरकार बनाने की ताक में भाजपा
कांग्रेस में उत्पन्न संकट को देखते हुए भाजपा भी ऐक्टिव है। कांग्रेस की फूट का फायदा उठाते हुए भाजपा सरकार बनाने के विकल्पों को तलाश रही है। विधायक दल के नेता जयराम ठाकुर लगातार बहुमत परीक्षण की मांग कर रहे हैं। हालांकि, बजट से पहले बुधवार को स्पीकर ने ठाकुर समेत भाजपा के 15 विधायकों को पूरे सत्र के लिए सदन से निष्कासित कर दिया है। इसको लेकर विधानसभा में जोरदार हंगामा देखने को मिला।