हरदा
बैरागढ़ पटाखा फैक्ट्री विस्फोट के पीड़ितों को हादसे से पंद्रह दिन बाद भी अपनी समस्या बताने के लिए प्रदर्शन करना पड़ रहा है। विस्फोट से क्षतिग्रस्त हुए पक्के मकानों का सही मुआवजा नहीं मिलने, मकानों के सर्वे में गड़बड़ी, हादसे से बेघर हुए प्रभावितों को आर्थिक मदद देने में असमानता सहित अन्य विभिन्न समस्याओं को लेकर प्रभावित लोगों ने जिला पंचायत में करीब एक घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया।
हरदा जिला पंचायत भवन में जनसुनवाई चल रही थी, जहां अंदर प्रभावितों को प्रवेश नहीं दिया गया। कुछ देर बाद मुख्य गेट पर अपर कलेक्टर नागार्जुन बी गौड़ा पहुंचे। उनसे प्रभावितों ने कहा कि हादसे के पंद्रह दिनों बाद भी उन्हें सही मदद नहीं मिली है। जिनके मकान पक्के थे उन्हें मात्र सवा-सवा लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिली है, जो काफी कम है। जिनके मकान छोटे या बड़े थे उनके एक समान सहायता राशि दी गई है, जबकि मकानों के निर्माण में लागत में अंतर है। इसी विसंगति को लेकर हरदा पटाखा फैक्ट्री हादसे में बेघर हुए पीड़ितों नें जिला पंचायत में नारेबाजी भी की।
आधा घंटे धरने पर बैठे रहे प्रभावित
पीड़ितों की मांग है कि मकान के बदले मकान चाहिए या फिर मकान के हिसाब से उचित मुआवजा दिया जाए। पीड़ितों नें जिला पंचायत परिसर में जमकर नारेबाजी भी की। इस दौरान पीड़ित करीब आधा घंटा जिला पंचायत गेट पर बैठे रहे। इससे गुस्साए पीड़ितों ने जिला पंचायत पहुंचकर आक्रोश जताया। मालूम हो कि शहर के बैरागढ़ क्षेत्र में 6 फरवरी को पटाखा फैक्ट्री में भीषण हादसा हुआ था। इसमें करीब 13 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। इस भीषण हादसे में कई घर जलकर राख हो गए। बेघर हुए लोगों को सरकार द्वारा मुआवजे के तौर पर सिर्फ सवा लाख रुपये दिए जा रहे हैं।
उचित नहीं मिल रही सहायता राशि
सभी पीड़ित जिला पंचायत परिसर में धरने पर बैठ गए और जमकर नारेबाजी की। पीड़िता अरुणा राजपूत ने बताया कि पटाखा फैक्ट्री हादसे में हमारे घर जल गए। जिस पर प्रशासन द्वारा मात्र सवा लाख रुपये मुआवजे के रूप में दे रहा है, जो उचित नहीं है। या तो मकान के बदले मकान बनाकर दिया जाए या फिर दोबारा सर्वे कर उचित मुआवजा दिया जाए।