वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से पता लगाया है कि कोरोना वायरस कुछ लोगों में इतना खतरनाक क्यों होता है? यूसीएलए (कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय लॉस एंजिल्स) के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में बताया है कि कोरोना वायरस शरीर की रक्षा प्रणाली को ही शरीर के खिलाफ भड़का सकता है, जिससे जानलेवा नतीजे हो सकते हैं।
उन्होंने एआई सिस्टम की मदद से कोरोना वायरस के सभी प्रोटीन की जांच की और कई प्रयोग किए। उन्हें पता चला कि कोरोना वायरस टूटने के बाद उसके कुछ टुकड़े शरीर के इम्यून सिस्टम के एक अहम हिस्से की नकल कर सकते हैं। ये टुकड़े इम्यून सिस्टम को जरूरत से ज्यादा सक्रिय कर देते हैं, जिससे शरीर में व्यापक सूजन (साइटोकिन स्टॉर्म) और खून का थक्का (ब्लड क्लॉटिंग) जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
यूसीएलए के बायोइंजीनियरिंग प्रोफेसर जेरार्ड वोंग कहते हैं, हमारी खोज वायरल इंफेक्शन के बारे में अब तक की समझ से अलग है। वह कहते हैं, "किताबों में बताया जाता है कि वायरस के खत्म होने के बाद, शरीर ‘जीत’ जाता है और वायरस के टुकड़ों का इस्तेमाल भविष्य में वायरस से लड़ने के लिए किया जाता है। लेकिन कोरोना हमें याद दिलाता है कि यह इतना आसान नहीं है। वह आगे कहते हैं, जैसे खाना पचने के बाद उसके अणुओं का शरीर पर कोई असर नहीं पड़ता, यह सोचना गलत है। जैसे आधा दर्जन डोनट खाने के बाद हम यह सोचें कि अब कोई नुकसान नहीं होगा। यह सच नहीं है। टीम ने पाया कि कोरोना वायरस के टुकड़े ‘इननेट इम्यून पेप्टाइड्स’ की नकल कर सकते हैं, जो इम्यून सिस्टम के ऐसे अणु होते हैं जो शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं। ये पेप्टाइड्स छोटे प्रोटीन की तरह होते हैं। वे डबल-स्ट्रैंडेड आरएनए नाम के एक खास अणु के साथ मिलकर एक नई संरचना बनाते हैं, जो वायरल संक्रमण या मरने वाली कोशिकाओं से निकलता है। इस नए कॉम्प्लेक्स से इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया तेज हो जाती है। एआई एनालिसिस के अलावा, शोधकतार्ओं ने नैनो-स्केल जैविक संरचनाओं का पता लगाने के लिए अत्याधुनिक तरीकों का इस्तेमाल किया और कोशिका और जानवरों पर आधारित प्रयोग किए।
उन्होंने पाया कि आम सर्दी का कारण बनने वाले कोरोना वायरस के मुकाबले, रअफर-उङ्मश्-2 में ऐसे टुकड़ों का समूह अधिक होता है जो मानव इम्यून पेप्टाइड्स की बेहतर नकल कर सकते हैं। अतिरिक्त प्रयोगों से पता चला कि रअफर-उङ्मश्-2 के टुकड़े आम सर्दी वाले कोरोना वायरस के टुकड़ों की तुलना में शरीर में ज्यादा सूजन पैदा करते हैं। चूहों पर किए गए प्रयोगों में भी यही नतीजे मिले। शोधकर्ताओं का कहना है कि रअफर-उङ्मश्-2 के टुकड़ों से चूहों, खासकर उनके फेफड़ों में, बहुत तेज इम्यून प्रतिक्रिया होती है। यह अध्ययन कोरोना के गंभीर मामलों को समझने में मदद कर सकता है और भविष्य में नए इलाज खोजने में भी उपयोगी हो सकता है।