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पद्मअवार्डी सतेन्‍द्र सिंह के जीवन पर आधारित “अ लाइफ चेंजिंग अप्रोच” पुस्‍तक का अनावरण

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भोपाल.
डॉ. राकेश चंद्रा और ऋषिकेश पांडे द्वारा लिखित तथा महागाथा प्रकाशन, हैदराबाद द्वारा प्रकाशित पुस्‍तक "अ लाइफ चेंजिंग अप्रोच" का विमोचन आज होटल कोर्टयार्ड बाय मैरियट में किया गया। यह पुस्‍तक भारतीय पैरा तैराक एवं पद्मअवार्डी सतेंद्र सिंह लोहिया की प्रेरक जीवन यात्रा पर आधारित है तथा उनके अदम्य हौंसले और बाधाओं को दूर कर मंजिल पाने की बात करती है।

प्रदेश के खेल मंत्री विश्वास सारंग द्वारा 8 फरवरी, 2024 को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस पुस्‍तक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर सचिव एमएसएमई एवं खेल तथा वरिष्ठ आईएएस अधिकारी  पी नरहरि, पदमपुरस्कार विजेता सतेंद्र सिंह लोहिया और पुस्तक के लेखक – डॉ. राकेश चंद्रा त‍था ऋषिकेश पांडे उपस्थित थे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पुस्तक लेखक डॉ. राकेश चंद्रा ने कहा, “सतेंद्र ने 70% दिव्‍यांगता के बावजूद, तैराकी में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए असाधारण साहस और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है। मध्य प्रदेश के भिंड जिले के ग्रामीण अंचल में जन्मे सतेंद्र अत्यंत गरीबी से उबरकर धैर्य, हौसले और विजय के राष्ट्रीय प्रतीक बन गए हैं। उनके अथक समर्पण ने उन्हें कई प्रशंसाएं दिलाईं, जिसमें 2019 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा प्रदान किया गया प्रतिष्ठित तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर अवार्ड भी शामिल है। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सतेंद्र की दृढ़ता की सराहना की और मार्च 2020 में उनके भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें आशीर्वाद दिया।‘’

पुस्‍तक के सह लेखक ऋषिकेश पांडे ने कहा, "उनकी असाधारण प्रतिभा और समर्पण को स्वीकार करते हुए, भारत सरकार ने सतेंद्र सिंह लोहिया को 2024 में पद्म से सम्मानित करने के लिए चयनित  किया।" ऋषिकेश, जो एक फिल्म निर्माता भी हैं, ने घोषणा की कि वह सतेंद्र के जीवन पर एक फिल्म बनाएंगे।

पी. नरहरि, जिन्होंने सतेंद्र को उनकी असाधारण यात्रा में मार्गदर्शन किया था, ने कहा, "अ लाइफ चेंजिंग अप्रोच",  पुस्‍तक सतेंद्र सिंह लोहिया जैसे व्यक्तियों के लचीलेपन, दृढ़ संकल्प और अटूट भावना का प्रमाण है, जो पाठकों को तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करती है। पुस्तक के लेखकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पुस्तक की रचना और सतेंद्र की कहानी के गहरे प्रभाव पर अंतर्दृष्टि भी साझा की। आकांक्षा दुबे ने इस पुस्‍तक के प्रकाशन में अपना संपादकीय सहयोग प्रदान किया है।