अयोध्या
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में प्रभु रामलला दरबार में दान की बारिश हो रही है। प्रभु रामलला का दानपात्र हर रोज करोड़ों रुपये से भर रहा है। 22 जनवरी को प्रभु रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। 23 जनवरी से राम मंदिर आम भक्तों के लिए खोला गया। 22 जनवरी को प्रभु रामलला का दर्शन केवल वीआईपी श्रद्धालुओं ने किया था। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस दिन भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को पूरा किया था। 1 फरवरी तक के दर्शन और दान के आंकड़े सामने आए हैं। वह भक्तों की राम मंदिर के प्रति आकर्षण को दर्शाता है। पिछले 11 दिनों में प्रभु रामलला के दान पात्र में 11 करोड़ का दान आया है। वहीं, इन 11 दिनों में 25 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किया है।
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार, पिछले 10 दिनों में दान पेटियों में लगभग 8 करोड़ रुपए जमा हुए हैं। लगभग 3.50 करोड़ रुपए का दान ऑनलाइन प्राप्त हुआ है। ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया कि भगवान रामलला जिस गर्भगृह में विराजमान हैं, उसके सामने दर्शन पथ के पास चार बड़े आकार की दान पेटियां रखी गई हैं। इनमें श्रद्धालु प्रसाद दान कर रहे हैं। इसके अलावा 10 कम्प्यूटरीकृत काउंटरों पर भी लोग दान कर रहे हैं। इन दान काउंटरों पर मंदिर ट्रस्ट के कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं। ये कर्मचारी शाम को काउंटर बंद होने के बाद प्राप्त दान राशि का हिसाब ट्रस्ट कार्यालय में जमा करते हैं।
14 कर्मचारी करते हैं चढ़ावे की गिनती
प्रभु रामलला को होने वाले चढ़ावे की गिनती को लेकर बड़ा दावा किया गया है। 14 कर्मचारियों की एक टीम चार दान पेटियों में आए चढ़ावे की गिनती करती है। इसमें 11 बैंक कर्मचारी और तीन मंदिर ट्रस्ट के कर्मचारी शामिल हैं। प्रकाश गुप्ता ने कहा कि दान राशि जमा करने से लेकर उसकी गिनती तक सब कुछ सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में किया जाता है।
बिजौलिया पत्थरों से बनाए जा रहे मार्ग
अयोध्या के मार्गों को बिजोलिया पत्थरों से तैयारि किया जा रहा है। विशेषज्ञों का दावा है कि करीब पांच लाख वर्ग फीट में बिछाए गए बिजोलिया पत्थरों पर मौसम चाहे कोई भी हो, श्रद्धालु आराम से चल सकेंगे। यह क्षेत्र परिक्रमा क्षेत्र और कुबेर टीला को कवर करेगा। प्रकाश गुप्ता ने कहा कि रामलला के दर्शन के लिए अभी हर रोज 2 लाख से अधिक श्रद्धालु राम मंदिर पहुंच रहे हैं।
पत्थर विशेषज्ञ दीक्षा जैन ने बताया कि राजस्थान का यह बिजोलिया पत्थर अपनी गुणवत्ता में बहुत खास है। यह न तो गर्मियों में ज्यादा गर्म होता है और न ही सर्दियों में ज्यादा ठंडा होता है। यह पत्थर लगभग 1000 वर्षों तक खराब नहीं होता है, जबकि इसमें पानी सोखने की क्षमता अन्य पत्थरों की तुलना में अधिक है।