बिलासपुर.
भूविस्थापित अपनी समस्याओं का निराकरण नहीं होने के कारण एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर का गेट जाम कर धरना प्रदर्शन करने का अल्टीमेटम दिया था। चारों परियोजना के भूविस्थापित लगभग 600 की संख्या में आंदोलन में उपस्थित हुए। गेट जाम कर धरना प्रदर्शन सुबह 11:00 बजे शुरू हुआ जो कई दौर की चर्चा बाद शाम 6 बजे समाप्त हुआ। धरना स्थल पर चर्चा के लिए एसईसीएल जीएम मेन पावर, प्रभारी जीएम एल एंड आर, आईआर एवं एचआर उपस्थित रहे। ग्रामीण पहले भी कई बार अपनी मांगों के लिए आंदोलन करते रहे हैं, लेकिन मुख्यालय के अधिकारी बैठक के दौरान औपचारिकता पूर्ण कर बिना निराकरण वापस चले जाते थे।
चर्चा के लिए आए अधिकारियों को भूविस्थापित नेता ब्रजेश श्रीवास ने चेताया कि भूविस्थापितों को झूठा आश्वासन देना बंद कीजिए। महिलाएं, बच्चे, वृद्ध सभी को आज आप लोगों के द्वारा परेशान होकर आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए मजबूर किया गया है। आपके मुखिया सीएमडी उत्पादन बढ़ाने महीने में कई बार खदान का चक्कर लगाते हैं, लेकिन उनके पास भूविस्थापितों से चर्चा करने के लिए समय नहीं है। जमीन लेने के बाद रोजगार, मुआवजा, पुर्नवास देने में टालमटोल किया जाता है। आज के बाद अगर ऐसी स्थिति आपके द्वारा निर्मित की जायेगी, तब अनिश्चितकाल के लिए खदान बंदी के लिए हम मजबूर हो जाएंगे। अधिकारियों के द्वारा अनेक बार वार्ता एवं निराकरण करने का आश्वासन देने पर सीएमडी या डायरेक्टर के द्वारा भूविस्थापितों को वही बात कहने के लिए कहा गया। सीएमडी की अनुपस्थिति में डायरेक्टर पर्सनल ने 15 प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना और निराकरण करने का आश्वासन दिया। उपस्थित अधिकारियों के बीच कोरबा, कुसमुंडा, गेवरा, दीपका चारों परियोजना की समस्याओं के लिए अलग-अलग बैठक कर निराकरण करने पर सहमती बनी। इसके लिए एसईसीएल कोरबा परियोजना में 4 फरवरी, एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना में 12 फरवरी, सईसीएल गेवरा परियोजना में 14 फरवरी एवं एसईसीएल दीपका परियोजना में 19 फरवरी को बैठक करने के लिए तिथि निर्धारित की गई।
डायरेक्टर पर्सनल ने यह अभी कहा गया कि इन तिथियां में विशेष परिस्थितिवश बदलाव होने पर सूचित किया जाएगा, जिससे कि बैठक निर्धारित तिथि को संपन्न हो सके। आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सम्मिलित हुए। इसे देखकर वहां उपस्थित प्रशासनिक अधिकारियों के मन में भी पीड़ा की भाव जागृत हुआ। वहां उपस्थित सभी लोगों ने भूविस्थापितों के दर्द को महसूस किया, जिसको भूविस्थापित कई दशकों से झेलते आ रहे हैं।