सनातन धर्मे में पूजा के समापन के बाद हर घर में शंख बजाया जाता है. हमारे सनातन धर्म में शंख के विशेष महत्व बताए गए हैं. शायद ही ऐसा कोई घर हो जहां शंख नहीं पाया जाता हो. बिना शंख के कोई भी पूजा नहीं होती है. शंख मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों को बहुत प्रिय है. ऐसा कहा जाता है कि जिस घर में शंख फूंका जाता है उसके आसपास कभी भी निगेटिव एनर्जी नहीं आती है. शंख रखने मात्र से घर में पॉजिटिव एनर्जी मिलती है, जबकि नकारात्मक शक्ति दूर होती है. अगर आपके घर में दो शंख हैं तो ऐसे में बड़ा सवाल है क्या एक साथ दो शंख रखें जा सकते हैं.
घर में शंख रखने के नियम
शंख रखने के कई नियमों के बारे में शास्त्रों में बताया गया है. बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिन्हें इनके रखने का नियम नहीं पता होता है. ज्योतिषाचार्य पंडित आलोक पाण्ड्या के अनुसार, शंख रखने का असर हमारे जीवन पर भी दिखाई देता है. शास्त्रों के अनुसार, अगर आप पूजा में शंख रखना चाहते हैं तो सिर्फ एक ही शंख रख सकते हैं.
देवी लक्ष्मी का प्रतीक
शंख मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. पूजा के लिए दो शंख नहीं रखने चाहिए, हालांकि मां लक्ष्मी किसी एक स्थान पर स्थायी नहीं रहती हैं. ऐसे में आप एक शंख बजाने के लिए और एक पूजा के लिए रख सकते हैं. यानी कि घर में दो शंख रख सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि एक बजाने वाला शंख हो. जिस शंख की पूजा की जा रही है उसका बजाने में उपयोग नहीं करना चाहिए.
इस शंख को कभी न बजाएं
ऐसा माना जाता है कि पूजा में रखे शंख को कभी भी बजाना नहीं चाहिए. शंख बिना मुंह के नहीं बजता है ऐसे में आप पूजा वाला शंख बजाते हैं तो यह दूषित माना जाता है. इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि पूजा वाले शंख को कभी नहीं बजाएं. बजाने के लिए अलग से शंख ही रखें.