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Exclusive: व्हाइटनर लगाकर बढ़ाया वर्क ऑर्डर, जांच में हुआ खुलासा, इसके बाद भी दे दी क्लीन चिट

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जयपुर.

सरकारी दफ्तर के लॉकर में कैश और गोल्ड मिलने के बाद चर्चा में आए राजस्थान के सूचना प्रोद्योगिकी विभाग में भ्रष्टाचार और घोटालों की कई फाइलें ऐसी ही अलमारियों में दबी हुई हैं। सूचना का अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगने पर फाइलें गुम हो जाती हैं। ऐसा ही एक बड़ा घोटाला कंसल्टेंसी को लेकर भी हुआ है। खास बात यह है कि जिस असफर ने यह सब किया, वह अब रिटायर होने के बाद उसी कंसल्टेंसी फर्म में काम कर रहा है। मामला राजकॉम्प इंफो सर्विसेस लिमिटेड के ई-पीडीएस प्रोजेक्ट से जुड़ा है।

यह डीओआईटी के अंतर्गत आता है। इसमें तत्कालीन अधिकारी आरसी शर्मा कुछ निजी फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए तकनीकी सलाहकार का वर्कऑर्डर बढ़ाने के लिए लगातार फर्जी नोटशीट चलाते रहे। मामला विभाग के शीर्ष अफसरों के सामने खुल गया। षड्यंत्र के लिए आरसी  शर्मा को नोटिस भी दिया गया। उसमें इस फर्जीवाड़े को प्रमाणित माना गया। इसके बाद भी नोटिस फारिग हो गया। आरसी शर्मा रिटायर होकर उसी कंसल्टेंसी फर्म में काम करने लगे, जिसे इन्होंने नौकरी में रहते फायदा पहुंचाया।

यह है मामला
ईपीडीएस प्रोजेक्ट व लीगल मैट्रोलॉजी परियोजना की जिम्मेदारी आरसी शर्मा के पास थी। परियोजना में दो निजी तकनीकी सलाहकार लवदीप शर्मा एवं हर्ष चौधरी का कार्यकाल 30 जून 2020 को समाप्त हो रहा था। इसके लिए विभाग के प्रोग्रामर ने आरके शर्मा को इसकी नोटशीट भेजी। इसका क्रमांक एफ 4.2(205)/आरआईएसएल/टेक/0015/पार्ट-1 की नोटशीट के पैरा 356/n लगायत 366/n था। इस नोटशीट को प्रोग्रामर राजदीप सिंह ने 29 जून  2020 को एसीपी पवन कुमार जांगिड़ को भेजा था। इसमें साफ लिखा था कि दोनों सलाहकारों का कार्यकाल 30 जून 2020 को खत्म हो जाएगा। आरसी शर्मा ने इस नोटशीट पर पहले कार्यकाल विस्तार जुलाई 2020 तक किए जाने की अनुशंसा कर अनुमोदन के लिए सीएमडी आरआईएसएल को भेज दी। सीएमडी से अनुमोदन होने के बाद आरसी शर्मा ने जुलाई की अवधि पर व्हाइटनर लगाकर अक्टूबर कर दिया। इस परिवर्तन के बगल में सी.ए. (कंटिंग प्रमाणित) लिखकर लघु हस्ताक्षर कर दिए।

फिर बार-बार झूठ बोलकर कार्यकाल बढ़ाया
मामला इतने पर शांत नहीं हुआ। आरसी शर्मा ने फिर इसी नोटशीट के पैरा 370/n पर सलाहकारों का कार्यकाल मार्च-2021 तक बढ़ाने की अनुशंसा कर पत्रावली सीएमडी आरआईएसएल को भेजी। इस पर सहमति आ गई थी। यह निर्देश भी दिए कि आवश्यक संसाधनों के लिए जैम पोर्टल से नियोजन की कार्यवाही तुरंत शुरू की जाए। इसके बाद आरसी शर्मा ने फिर से सीएमडी को एक नोटशीट भेजकर लवदीप शर्मा सहित 5 लोगों की मांग की। इस बार पत्रावली वित्त विभाग तक गई। इस फाइल पर निदेशक वित्त ने लिखा कि ई-पीडीएस परियोजना में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग से 30 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होनी है। कोई नया व्यय तभी किया जाए तब विभाग से यह राशि प्राप्त हो जाए। इसके बाद भी आरसी शर्मा ने तकनीकी सलाहकारों का कार्यकाल  31.03.2022 तक बढ़ाने की फाइल चला दी। तब तक खाद्य एवं नागरिक आपूत्ति विभाग से बकाया राशि के संबंध में कोई सहमति प्राप्त नहीं हुई थी।

सीएमडी ने दिया नोटिस
तत्कालीन सीएमडी आईएएस वीरेंद्र सिंह ने आरसी शर्मा को अभिलेखों में कांट-छांट और हेराफेरी कर अनियमितता बरतने के लिए सेवा नियम 1958 के नियम 16 के तहत नोटिस देकर कार्मिक विभाग को कार्यवाही के लिए भेजा। आरसी शर्मा बिना किसी कार्यवाही रिटायर भी हो गए और अब उसी कंपनी में बतौर सलाहकार सेवाएं दे रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि जब सीएमडी ने शर्मा को फर्जीवाड़े का दोषी मानकर नोटिस दिया तो उन पर कार्यवाही किसके प्रभाव में नहीं होने दी गई।

आरटीआई में जानकारी मांगी तो फाइल हुई गुम
उक्त फाइल की कॉपी जब आरटीआई में मांगी गई तो विभाग से जवाब मिला कि आरआईएसएल के ई-पीडीएस प्रोजेक्ट की फाइल कुछ दिनों से मिल नहीं रही है। साल बीत गया लेकिन फाइल की तलाश अब भी जारी है। मामले को लेकर पब्लिक अगेंस्ट करेप्शन के आजीवन सदस्य डॉ. टीएन शर्मा ने बताया कि आरसी शर्मा ने डीओआईटी में रहते हुए कई गड़बड़ियां की थी। फर्मों को अनुचित लाभ दिलावाया था। इनमें लिंक वेल, एनॉलॉजी, प्रिसाइज रोबोटिक्स फर्म प्रमुखता से है। हमने इन मामलों में साक्षों सहित एसीबी को भी पत्र लिखे लेकिन रसूखों के चलते इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।