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कांग्रेस की सोच आज भी राष्ट्रीय धर्म और सनातन विरोधी, पहले वह यह सोच बदले फिर जनता के बीच जाए : सोनी

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रायपुर

भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुनील सोनी ने कहा है कि कांग्रेस की सोच आज भी राष्ट्री विरोधी, धर्म विरोधी और सनातन विरोधी है । पहले वह यह सोच बदले फिर जनता के बीच जाए उन्होंने कहा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट लाख दावे कर लें कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में बेहतर प्रदर्शन करेगी, पर कांग्रेस यह सच पायलट भी भली-भाँति जानते हैं कि छत्तीसगढ़ की जनता अब पूरी तरह भाजपा के साथ खड़ी है और कांग्रेस अपने राजनीतिक वजूद को वेंटीलेटर पर जाने से नहीं रोक पाएगी। श्री सोनी ने कहा कि प्रदेश में भारी हार के बाद भी अगर कांग्रेस प्रभारी पायलट कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की तारीफ कर रहे हैं तो इस पर सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि दिल बहलाने को गालिब खयाल अच्छा है।

सोनी ने कहा कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबकर प्रदेश के खजाने की लूट-खसोट में लगी कांग्रेस सरकार को जनता ने उखाड़ फेंका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और मोदी की गारंटी पर पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा पर विश्वास जताया है और आगामी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 11 सीटों पर कमल खिलाने के लिए संकल्पित है। उन्होंने कांग्रेस की अंतर्कलह को महज मतभेद बताने और मनभेद नहीं होने के पायलट के दावे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिस तरह की सिर-फुटौव्वल कांग्रेस में चल रही है, उसे महज मतभेद बताकर कांग्रेस प्रभारी शुतुरमुर्ग की तरह सच्चाई से मुँह छिपा रहे हैं।

विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस में चहुँओर हाहाकार का आलम  है और अगर कांग्रेस इसे मनभेद नहीं मान रही है तो कांग्रेस की राजनीतिक संस्कृति यही है। सोनी ने कहा कि जिन लोगों को अपनी हार की समीक्षा करके उससे सबक लेना था, वे कांग्रेसी आपसी जूतमपैजार में लगे हैं। आरोप-प्रत्यारोप से लेकर इस्तीफों और निष्कासन का जैसा दौर कांग्रेस में हाल के दिनों में चला है, उससे यह तो साफ है कि कांग्रेस जनादेश के मर्म को समझने को तैयार ही नहीं है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद जिस तरह कांग्रेस के पदाधिकारियों पर अभद्र टिप्पणियाँ की गई हैं, पैसे लेकर पदों की रेवड़ी बाँटने से लेकर चुनाव की टिकट बेचने तक के आरोप लगाए गए हैं, उससे कांग्रेस की राजनीतिक संस्कृति में रचे-बसे भ्रष्टाचार की पोल खुली है।