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आज फिर इतिहास रचने जा रहा हिन्दुस्तान, आदित्य-L1 के लिए खास दिन क्यों?

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नई दिल्ली
 अंतरिक्ष में भारत आज एक नया कीर्तिमान रचने वाला है। भारत का पहला सौर मिशन आदित्य आज सूरज के एल1 पॉइंट पर पहुंचने वाला है। आपको बता दें कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि होगी, जिसके बाद सूरज के राज से पर्दा उठना शुरू हो जाएगा। आपको बता दें कि आज शाम 4 बजे आदित्य एल1 सूरज के नजदीक पहुंचेगा।

सूर्य की धधकती आग से कैसे बचेगा आदित्य एल1?

पृथ्वी और सूर्य के बीच कुल मिलाकर 5 लैग्रेंज बिंदु हैं। इनमें L1, L2, L3, L4 और L5 शामिल है। इसरो का ये यान ऑर्बिट के L1 पॉइंट के पास जाएगा। नासा के मुताबिक, इस ऑर्बिट की खास बात यह है कि यह टेलीस्कोप को सूर्य के चारों ओर घूमते समय पृथ्वी की सीध में रहने देती है। इससे सैटेलाइट का बड़ा सनशील्ड सूर्य की तेज गर्मी से यान को बचाने में कामयाब हो जाता है।
आदित्य एल1 का लक्ष्य क्या है?

आदित्य एल1 के जरिए इसरो के वैज्ञानिक ये समझना चाहते हैं कि पृथ्वी के सबसे नजदीक स्थित इस स्टार के रेडिएशन, हीट, पार्टिकल्स के प्रवाह और मैगनेटिक फील्ड्स से पृथ्वीवासियों पर क्या असर पड़ता है। मिशन पर जाने वाले पेलोड्स सूर्य के ऊपरी पर्यावरण लेयर को स्टडी करेंगे, जिसे क्रोमोस्फेयर और कोरोना कहा जाता है। इसके अलावा आदित्य एल1 कोरोना के मैगनेटिक फील्ड और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले तत्वों का भी अध्ययन करेगा।
इसरो चीफ ने क्या कहा?

इस मिशन को इसरो ने दो सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से लॉन्च किया गया था। यह अंतरिक्ष-आधारित पहली भारतीय वेधशाला है, जिसके तहत ‘हेलो ऑर्बिट एल1’ से सूर्य का अध्ययन किया जाना है। सोमनाथ ने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए कार्यरत गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) विज्ञान भारती द्वारा आयोजित भारतीय विज्ञान सम्मेलन के मौके पर मीडियाकर्मियों से कहा- 'आदित्य एल1 छह जनवरी को एल1 बिंदु में प्रवेश करेगा। ऐसी उम्मीद है। उचित समय पर सटीक समय की घोषणा की जाएगी।'

उन्होंने कहा था- 'जब यह एल1 बिंदु पर पहुंचेगा, तो हमें इंजन को एक बार फिर से चालू करना होगा ताकि यह आगे न बढ़े। यह उस बिंदु तक जाएगा और एक बार जब यह उस बिंदु पर पहुंच जाएगा तो यह इसके चारों ओर घूमने लगेगा और एल1 पर फंस जाएगा।'

इसरो प्रमुख ने कहा कि जब आदित्य एल1 अपने गंतव्य पर पहुंच जाएगा, तो यह अगले पांच वर्षों तक सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का पता लगाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि भारत भविष्य में तकनीकी रूप से एक शक्तिशाली देश बनने वाला है।