अयोध्या
अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं। 22 जनवरी को रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजेंगे। देश विदेश के अनेक लोगों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण मिला है। यूपी का बस्ती जिला त्रेता युग से भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ा हुआ है। भगवान श्रीराम ब्याह (शादी) करके जब जनकपुर से अयोध्या धाम के लिए लौट रहे थे, तब वह बस्ती के रामजनकी मार्ग से ही होकर अयोध्या गए थे। उसी समय माता सीता के पैर मे चने की ठंडल (खूंटी) चुभ गई थी तबसे चने की खेती के लिए वहां की भूमि शापित हो गई है।
माता सीता के पैरों से निकलने लगा खून
आपको बताते चले कि भगवान श्रीराम जनकपुर से ब्याह (शादी) करके जब अयोध्या के लिए जा रहे थे, तब माता सीता और भगवान श्रीराम जैसे ही दोनों ने मनवर नदी को पार किया। उसी समय माता सीता के पैर में चने की डंठल (खूंटी) चुभ गई इसकी वजह से उनके पैरों से खून निकलने लगा बस तभी से यहां पर चने की खेती शापित हो गई। शाप मिला कि यहां पर जो भी व्यक्ति चने की खेती करेगा या तो उसका जुड़वां बैल या जयेष्ठ लड़के की मृत्यु हो जाएगी। इस कारण सरयू और मनोरमा नदी के दोआब क्षेत्र में त्रेता युग से ही चने की खेती नहीं होती है।
चने की खेती करने पर खत्म हो गया परिवार
स्थानीय लोगो ने बताया कि एक बार एक विशेष समुदाय के युवक ने हठवश यहां चना की खेती करने की मंशा जाहिर की तो उस समय गांव के लोगो ने बहुत समझाया और रोकने का प्रयास किया लेकिन वह किसी भी कीमत पर नही माने जैसे ही उसने इस जगह पर चने की खेती की उसका पूरा परिवार खत्म हो गया, और बाद में वह भी मर गया। तब से लोगो मे भय व्याप्त हो गया और चने की खेती करने का कोई नाम भी नहीं लेता है। वर्तमान समय मे रामजानकी मार्ग को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विशेष पैकेज देकर रास्ते का चौड़ीकरण और पुन: निर्माण कराया गया है।