लखनऊ
इंडिया गठबंधन की मंगलवार को दिल्ली में होने वाली अहम बैठक में चुनावी मुद्दों और सीट शेयरिंग फार्मूले पर खास चर्चा होगी। लेकिन इसमें यूपी में गठबंधन के विस्तार व सीट बंटवारें पर सहमति बड़ी चुनौती है। बैठक में संयुक्त रैली के जरिए महाभियान की शुरुआत करने व साझा घोषणा पत्र पर भी चर्चा होगी। उत्तर भारत के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों से कांग्रेस की स्थिति नाजुक हुई है और क्षेत्रीय दलों की आलोचना सहने के बाद अब उस पर राज्यवार बड़ा दिल दिखाने की अपेक्षा भी की जा रही है। पर इसके बावजूद कांग्रेस आत्मविश्वास में दिखती है और वह यूपी में भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने जा रही है। बैठक में जो दल सबसे ज्यादा मजबूत है, उसे ही गठबंधन की कमान देने पर सहमति बनाने की कोशिश होगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व सपा प्रमुख अखिलेश यादव व अन्य घटक दलों का सबसे ज्यादा जोर इसी बात पर है। कांग्रेस जहां जहां मजबू्त स्थिति में है, वहां उसे सहयोगी दलों के लिए सीट देने में सहमति बनाना खासा मुश्किल दिख रहा है।
यूपी में इंडिया गठबंधन के विस्तार की कोशिश
‘इंडिया’ गठबंधन के तहत यूपी में कांग्रेस के साथ-साथ अब सपा भी इसमें बसपा को साथ लाने पर सहमत हो गई दिखती है। हाल में मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भाजपा के मोदी मैजिक के आगे विपक्ष के ओबीसी कार्ड व जातिगत जनगणना का मुद्दा ज्यादा नहीं चला और इस बात ने गठबंधन के नेताओं को इसका विस्तार करने की रणनीति बनाने पर मजबूर कर दिया। अब सपा को अहसास है कि अगर सपा, कांग्रेस के साथ-साथ बसपा को बड़ा वोट बैंक जुड़ जाए और गैरभाजपाई छोटे दल भी साथ आ जाएं तो यूपी में कड़ी टक्कर दी जा सकती है। हाल में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संकेतों में कहा कि हम चाहते हैं कि उनसे गठबंधन हो जिनसे पहले भी गठबंधन हो चुका है। हम सहयोगियों का पूरा सम्मान करेंगे। इससे साफ है कि बसपा के गठबंधन में आने से उन्हें इंकार नहीं है। असल में अखिलेश यादव ने पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठजोड़ किया था। उन्हें पांच व बसपा को 10 सीटें मिलीं थीं। हालांकि बाद में दोनों गठबंधन से बाहर हो गए और विधानसभा चुनाव में दोनों अलग अलग लड़े जहां से सपा 110 सीटें व बसपा एक सीट जीती। पर माना जा रहा कि अभी भी बसपा का मूल वोट बैंक इंडिया गठबंधन को रफ्तार दे सकता है। हालांकि बसपा अभी तक किसी भी गठबंधन में आने से इंकार करती रही है।
सीटों को लेकर सहमति बनना आसान नहीं
अभी सपा कांग्रेस में सीटों के बटवारें को लेकर उलझनें कम नहीं है। सपा कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा 15 सीटें दे सकती है और अगर गठबंधन का विस्तार हुआ तो यह सीटें कम होंगी। सपा को भी अपने कोटे की सीटें घटानी होंगी। चूंकि अब आम चुनाव नजदीक है, इसलिए अभी सपा कांग्रेस में सीटों के बटवारें पर जल्द निर्णय हो सकता है।