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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जहां ली शपथ, जानें उस अल्बर्ट हॉल का इतिहास

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जयपुर.

राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शुक्रवार को अल्बर्ट हॉल से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनके साथ डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को राज्यपाल कलराज मिश्र पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित एक लाख लोगों के पहुंचने का लक्ष्य है। बता दें कि अल्बर्ट हॉल पर कार्यक्रम की तैयारी पूरी हो गई है।

समारोह स्थल पर बीजेपी के झंडे की झालर लगाई गई है। कार्यक्रम स्थल को केसरिया झालरों और रोशनी से सजाया गया है। पुलिस के कई आला अधिकारी भी दिनभर अल्बर्ट हॉल के साथ-साथ पीएम के रूट का भी निरीक्षण किए। आमंत्रित मेहमानों और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बैठने की अलग से व्यवस्था की गई है। कार्यक्रम को लेकर भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई है। अल्बर्ट हॉल पर मुख्य मंच बनाया गया है और इसके दोनों ओर दो मंच भी बनाए गए हैं। यहां नवनिर्वाचित विधायकों को बैठाया जा सकता है। मुख्य मंच पर पीएम मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सीएम भजनलाल शर्मा और दोनों डिप्टी सीएम के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी सहित कई बड़े नेताओं को मुख्य मंच पर जगह दी जाएगी।

समारोह में दिखेगी राजस्थानी संस्कृति की झलक
समारोह में राजस्थानी संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी। राजस्थान साफा में नेता नजर आएंगे। शपथ ग्रहण समारोह से पहले राजधानी के मुख्य मार्गों और प्रवेश मार्गों को सजाया गया है। बीजेपी के झंडे और होर्डिंग कटआउट सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं वाले पोस्टर और बैनर भी लगाए गए हैं।

कार्यकर्ताओं को भी निमंत्रण
समारोह के लिए बीजेपी ने प्रदेश के लाखों कार्यकर्ताओं को निमंत्रण भिजवाया है। इस दौरान प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से कार्यकर्ता शपथ ग्रहण कार्यक्रम में भाग लेंगे। समारोह के लिए राजस्थान सहित अन्य राज्यों के विशिष्ट लोगों को भी निमंत्रण भेजे गए हैं। इसमें प्रबुद्धजनों सहित राजनैतिक और सामाजिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोग शामिल हैं। इसके अलावा खेल जगत और साहित्यिक जगत के खास लोगों को भी शपथ ग्रहण समारोह के लिए बुलावा भेजा गया है।

ये है अल्बर्ट हॉल का इतिहास
महाराजा रामसिंह की ख्वाहिश के मुताबिक, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय की जगह एक टाउन हॉल बनाया जाना था, पर महाराजा माधो सिंह-2 ने इस इमारत को एक कला संग्रहालय के रूप में पहचान देने का मानस बनाया। इस म्यूजियम के अहाते में कई पुराने चित्र, दरिया, हाथी दांत, कीमती पत्थर, धातु, मूर्तियां और रंग-बिरंगे कई देसी-विदेशी सामान देखने को मिलेंगे। यह संग्रहालय राम निवास उद्यान के बाहरी और वॉल सिटी के न्यू गेट के ठीक सामने स्थित है। भारत और अरबी शैली में बनाई गई इस इमारत की डिजाइन सैमुअल स्विंटन जैकब ने की थी। पब्लिक संग्रहालय के रूप में इसे साल 1887 में खोला गया था।

अल्बर्ट एडवर्ड जयपुर की यात्रा पर आए
कहा जाता है कि जब प्रिंस ऑफ वेल्स, अल्बर्ट एडवर्ड जयपुर की यात्रा पर आए, तब उनके नाम पर ही इस इमारत का नामकरण किया गया था। बाद में इसका उपयोग कैसे किया जाए, ये दुविधा काफी समय तक बनी हुई थी। तब महाराजा सवाई रामसिंह शुरू में चाहते थे कि संग्रहालय भवन एक टाउन हॉल हो, कुछ विद्वानों ने इसे सांस्कृतिक या शैक्षिक उपयोग में लाने का सुझाव भी दिया। लेकिन डॉक्टर थॉमस होबिन हेंडली ने स्थानीय कारीगरों को अपनी शिल्प कलाकारी दिखाकर इसे संग्रहालय बनाने का सुझाव दिया था।

साल 1887 में जनता के लिए खोला गया संग्रहालय
जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय को उनका यह विचार पसंद आया और उन्होंने इसे 1880 में जयपुर के स्थानीय शिल्पकारों की कलाकृति को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय बनाने का फैसला किया। संग्रहालय को आखिर में 1887 में जनता के लिए खोल दिया गया। म्यूजियम की भव्य वास्तुकला इंडो-सरसेनिक शैली में निर्मित है। इस म्यूजियम में अब जयपुर कला के कुछ बेहतरीन काम, पेंटिंग, कलाकृतियां, आभूषण, कालीन, धातु, पत्थर और हाथी दांत की मूर्तियां मौजूद हैं। यहां मिस्र में एक पुजारी के परिवार की महिला सदस्य टूटू ममी है। इस तरह से अल्बर्ट हॉल संग्रहालय भी भारत के उन छह स्थानों में से एक है, जहां आप मिस्र की ममी को देख सकते हैं।

रामनिवास बाग की शान अनूठी
जयपुर का रामनिवास बाग चौड़ा रास्ता के मुहाने न्यू गेट के ठीक सामने है। करीब एक किलोमीटर का यह क्षेत्र सालों से सियासी गतिविधियों का केन्द्र रहा है। जनसंघ के जमाने से त्रिपोलिया से लेकर चौड़ा रास्ते तक राजनीतिक रैलियां हुईं। आगे के कॉर्नर पर मौजूद रामलीला मैदान सियासी हलचलों का केन्द्र बना और एक दशक में रामनिवास बाग का आहता अब दूसरे मुख्यमंत्री की शपथ का गवाह बन जाएगा।
बता दें कि साल 1868 में महाराजा सवाई राम सिंह ने रामनिवास बाग को बनवाया था। यहां एक चिड़ियाघर, दरबा, पौधा घर, वनस्पति संग्राहलय से युक्त एक हरा भरा विस्तृत बगीचा तैयार किया गया। वहीं, खेल का प्रसिद्ध मैदान भी सालों तक यह बाग रहा है। बाढ़ राहत परियोजना के तहत साल 1865 में सवाई रामसिंह द्वितीय ने इसका निर्माण करवाया था। हाल ही में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए यहां एक ऑडिटोरियम रवीन्द्र मंच और आर्ट गैलरी बनवाई गई है।