धार
इस बार खरमास (मलमास) का महीना 16 दिसंबर से आरम्भ होकर 15 जनवरी 2024 को समाप्त होगा । इस माह में सूर्य की गति धीमी हो जाती है । जिस कारण कोई भी शुभ काम सफल नहीं होते हैं । शास्त्रों में खरमास का महीना शुभ नहीं माना गया है । इस अवधि में मांगलिक कार्य करना प्रतिबंधित है । हिंदू धर्म के अनुसार इस दौरान शादी – विवाह से जुड़े कार्य नहीं किए जाते हैं । खरमास पूरे एक माह तक रहता है ।
इस संदर्भ मे मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया कि दिनांक 16 दिसंबर की मध्य रात्रि 12:43 से ( मलमास ) खरमास शुरू हो रहा है , जो नए वर्ष में 15 जनवरी को प्रातः 08:07 बजे से मकर संक्रांति के दिन समाप्त हो जाएगा । जिस दिन सूर्य देव के एक राशि से दूसरे राशि में स्थान बदलते हैं उस दिन को संक्रांति कहा जाता है । सूर्य देव 16 दिसंबर में धनु राशि में प्रवेश करेंगे । जिससे खरमास लगा रहा है । नए साल 2024 में सूर्य देव 15 जनवरी को प्रातः 08:07 बजे धुन राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे , तो मकर संक्रांति पड़ेगी ।
डॉ. अशोक शास्त्री के मुताबिक़ खरमास में 500 साल बाद दिसंबर अंत में एक साथ कई ग्रहों के चाल बदलने से राजयोग का निर्माण होने जा रहा है। मंगल,शनि, बुध, गुरू, शुक्र,सूर्य की युक्ति से बुधादित्य, राजलक्षण, लक्ष्मी नारायण, रूचक,और मालव्य राजयोग बनने वाले है। सूर्य देव 16 दिसंबर को सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं, इस दौरान सूर्य बुध मिलकर बुधादित्य राजयोग बनाएंगे। बुध 28 दिसंबर और शुक्र 25 दिसंबर को वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहे हैं, ऐसे में वृश्चिक राशि में बुध और शुक्र की युति से लक्ष्मी नारायण योग बन रहा है। वही शुक्र से मालव्य तो मंगल से रूचक राजयोग का निर्माण होने जा रहा है। माना जा रहा है कि ऐसा संयोग 500 सालों बाद बन रहा है, जो कई राशियों के लिए फलदायी साबित होने वाला है।
डॉ. अशोक शास्त्री के अनुसार 16 दिसंबर से 15 जनवरी तक खरमास के दौरान कोई शुभ कार्य नही होंगे । 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन से खरमास समाप्त हो जाएगा । ऐसे में 15 जनवरी से शादी – विवाह आदि सभी मांगलिक कार्य और शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खरमास पूजा – अर्चना के लिए शुभ माना गया है ।
16 दिसंबर से प्रारंभ हो रहे खरमास का समापन नए साल 2024 के पहले माह जनवरी में होगा । पंचांग के आधार पर जब सूर्य का धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश होगा तो वह सूर्य की मकर संक्रांति होगी । मकर के प्रारंभ होते ही खरमास का समापन हो जाता है । 15 जनवरी को प्रातः 08:07 पर मकर संक्रांति का क्षण है । इस समय पर खरमास समाप्त हो जाएगा । इसका पुण्य काल 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने के बाद सूर्य पूजा करते हैं । खरमास को शुभ नहीं माना जाता है । इसलिए इस माह के दौरान कोई भी शुभ , मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है ।
डाॅ. शास्त्री के मुताबिक साल में दो बार लगता है खरमास जब सूर्य मार्गी होते हुए बारह राशियों में एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं तो इस दौरान बृहस्पति के आधिपत्य वाली राशि धनु और मीन में जब सूर्य का प्रवेश होता है तो खरमास लगता है । इस तरह से मार्च माह में जब सूर्य मीन में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है तो वहीं , दिसंबर में जब सूर्य धनु में प्रेवश करते हैं तब खरमास लगता है । इस समय सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व माना जाता है । खासतौर पर जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में हो उन्हें खरमास के दौरान सूर्य उपासना अवश्य करनी चाहिए ।
डाॅ. शास्त्री के मुताबिक इन खरमास में शादी – विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं । इस समय अगर विवाह किया जाए तो भावनात्मक और शारीरिक सुख दोनों नहीं मिलते हैं । इस समय मकान का निर्माण या संपत्ति की खरीदारी वर्जित होती है । इस दौरान बनाए गए मकान आमतौर पर कमजोर होते हैं और उनसे निवास का सुख नहीं मिल पाता है । खरमास में नया कार्य या व्यापार शुरू न करें । इससे व्यापार में शुभ फलों के प्राप्त होने की संभावना बहुत कम हो जाती है । इस दौरान द्विरागमन , कर्णवेध और मुंडन जैसे कार्य भी वर्जित होते हैं क्योंकि इस अवधि के किए गए कार्यों से रिश्तों के खराब होने की सम्भावना होती है । इस महीने धार्मिक अनुष्ठान न करें ।